नई दिल्ली। एक निजी चैनल के एडिटर और दो एंकरों को हटाने के मामले को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने गंभीरता से लिया है. बुधवार को एडिटर्स गिल्ड ने तीनों पत्रकारों को हटाने और न्यूज का सिग्नल बाधित करने के मामले में केन्द्र की भाजपा नीत एनडीए सरकार की आलोचना की है.
एडिटर्स गिल्ड ने एक बयान जारी कर कहा है कि प्रेस की आजादी को दबाने के उद्देश्य से नापाक गतिविधियों के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग की है. गिल्ड ने मीडिया मालिकों से सरकार या किसी अन्य ताकत के राजनीतिक दबाव के सामने नहीं झुकने का अनुरोध किया. वहीं न्यूज सिग्नल बाधित करने के मामले में की जांच करने और इस बारे स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है कि किन परिस्थितियों में ऐसी घटनाएं हो रही हैं. जो कि मीडिया की आजादी की बुनियादों तथा भारत के लोकतंत्र के आधार पर हमला है.
गिल्ड ने कहा कि सरकार राष्ट्र को यह भी आश्वासन देना चाहिए कि प्रत्यक्ष या परोक्ष या किसी एजेंसी के जरिये वह इस गतिविधि में शामिल नहीं है और अगर वह शामिल नहीं है तो इन नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ मामला दर्ज होना चाहिए. सैटेलाइट सिग्नल की आजादी से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा कि बीते कुछ दिन में कम से कम इलेक्ट्रॉनिक के दो वरिष्ठ पत्रकारों ने सामने आकर कहा है कि उनके नियोजकों ने न्यूज सामग्री में कटौती या इसे हल्का बनाने का प्रयास किया ताकि सरकार के प्रति कम आलोचना वाला बनाया जा सके, इस कारण से उनके पास इस्तीफा देने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था.
आपको बता दें कि रविश कुमार के प्राइम टाइम और हाल ही में एबीपी न्यूज से हाल ही में इस्तीफा देने वाले पुण्य प्रसून बाजपेयी के मास्टर स्ट्रोक कार्यक्रम का सिग्नल बंद होने की शिकायते लगातार आ रही थी. वहीं एबीपी न्यूज के एडिटर इन चीफ मिलिंद खांडेकर और एंकर पुण्य प्रसून बाजपेयी ने इस्तीफा दे दिया था वहीं एक अन्य एंकर अभिसार शर्मा को छुट्टी पर भेज दिया था.
इस्तीफा देने के बाद पुण्य प्रसून बाजपेयी ने अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट साझा किया था जिसमें उन्होंने कहा ता कि चैनल मैनेजमेंट ने उनसे अपने कार्यक्रम मास्टर स्ट्रोक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम नहीं लेने कहा था.