छत्तीसगढ़ शिल्पकारों का गढ़ है. छत्तीसगढ़ पहचान उसकी सांस्कृतिक विविधता है. छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति में अनेक शिल्पकलाओं के रंग है. बात चाहे फिर बेलमेटल, लौह, बांस, काष्ठ, पत्थर, कौड़ी, शिशल, मृदा, कसीदाकारी, गोदना या भित्ती चित्र की हो. हर कला में प्रदेश के शिल्पकारों ने छत्तीसगढ़ का नाम रौशन किया है. रमन सरकार ने शिल्पकारों के विकास के शिल्प विकास बोर्ड, ग्रामोद्योग बोर्ड, माटी कला बोर्ड का गठन किया है. सरकार की कोशिश है कि कला और संस्कृति का गढ़ छत्तीसगढ़ दुनिया के भीतर अपनी पहचान हमेशा कायम रखे. आखिर किस तरह से छत्तीसगढ़ में हो रहा हस्त शिल्पकारों का विकास देखिए……इस रिपोर्ट में-

रमन सरकार ने प्रदेश के इन शिल्पकारों के विकास कई तरह की योजनाएं बनाई है. सरकार की कोशिश है कोई भी शिल्पकार अपनी विरासत से अलग न हो जाए. आर्थिक अभाव में कोई भी कलाकार न रहे. कलाकारों को मंच के साथ बाजार भी उपलब्ध हो और कलाकारों उनके हस्तशिल्पों का सही दाम भी मिले इसके लिए सरकार ने विभिन्न मंडलों का गठन कर शिल्पकला को आगे बढ़ाने का काम किया है. छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से अभी किए जा रहे प्रयासों को पहले जानते हैं फिर सरकार के मुखिया का क्या कहना है यह भी सुनवाएंगे.

हस्त शिल्प विकास बोर्ड

प्रदेश के हस्तशिल्पियों के विकास के लिए उन्हें कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

हस्तशिल्प रोजगार में संलग्न शिल्पकारों की संख्या 4 हजार 471 से बढ़कर 15 हजार हो गई है.

हस्तशिल्प के विभिन्न विधाओं-बेलमेटल, लौह, बांस, काष्ठ, पत्थर, कौड़ी, शिशल, मृदा, कसीदाकारी, गोदना, भित्ती चित्र, कालीन आदि शिल्पों में राज्य के 9 हजार 747 शिल्पियों को बुनियादी और उन्नत प्रशिक्षण दिया गया.

हस्त शिल्पियों को उनके उत्पादों की विपणन व्यवस्था के तहत राजधानी रायपुर के माना विमानतल परिसर, पुरखौती मुक्तांगन, छत्तीसगढ़ हाट परिसर पंडरी और शापिंग काम्पलेक्स आमापारा में शबरी एम्पोरियम संचालित है. इसके अलावा भिलाई, राजनांदगांव, चम्पारण, जगदलपुर, परचनपाल, नारायणपुर, जशपुर, अम्बिकापुर, कोण्डागांव, कांकेर, मैनपाट और कनाट पैलेस नई दिल्ली एवं अहमदाबाद में शबरी एम्पोरियम संचालित किया जा रहा है.

खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड

परिवार मूलक योजना के तहत 2003 में 2 हजार 571 ग्रामोद्योग इकाईयों के लिए 2.17 करोड़ रुपए का अनुदान सहायता और 5 हजार 145 लोगों को रोजगार मिला था जो वर्ष 2017 तक बढ़कर 34 हजार 720 ग्रामोद्योग इकाईयों के लिए44.14 करोड़ रुपए का अनुदान और 79 हजार 737 लोगों को दिया गया रोजगार मिल रहा है.

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत वर्ष 2003 में 1 हजार 601 इकाईयों के लिए 17.98 करोड़ रुपए का अनुदान सहायता और 17 हजार 627 लोगों को रोजगार मिला था जो वर्ष 2017 तक बढ़कर 6 हजार 629 इकाईयों के लिए 125.32करोड़ रुपए का अनुदान सहायता और 81 हजार 514 लोगों को रोजगार मिल रहा है.

मुख्यमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम- परिवार मूलक योजना को संशोधित कर मुख्यमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम योजना 15 अगस्त 2017 से प्रारंभ किया गया. इस योजना में परियोजना लागत रुपए 1 लाख से बढ़कर 3 लाख तक किया गया है तथा 35 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान किया गया है. आगामी 5 वर्षों में 3 हजार 664 ईकाई स्थापित कर 7 हजार 328 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा. जिसमें 37 करोड़ 17 लाख का अनुदान वितरण कर 120 करोड़ ऋण उपलब्ध कराया जाएगा.

ग्रामोद्योग नीति

ग्रामोद्योग विभाग से सम्बद्ध सभी घटकों-हाथकरघा, रेशम, हस्तशिल्प, माटीकला और ग्रामोद्योग बोर्ड के हितग्राहियों के समग्र विकास के लिए पंचवर्षीय ग्रामोद्योग नीति 2016-2021 तैयार की गई है. नीति के तहत ग्रामोद्योग से जुड़े सभी व्यवसायों के माध्यम से राज्य में 7 लाख लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य है. नीति के क्रियान्वयन से आगामी पांच वर्षों में शिल्पियों एवं कारीगरों विशेषकर कमजोर वर्गों और महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा.

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह छत्तीसगढ़ का हस्तशिल्प बहुत ही प्रचीन है. छत्तीसगढ़ में लगातार शिल्पकारों के विकास के लिए काम किया गया है.

राज्य गठन के समय 2 हजार 6 सौ शिल्पकार थे आज 17 हजार 4 सौ 71 शिल्पकार हैं
राज्य गठन के समय राज्य स्तरीय पुरस्कार प्राप्त शिल्पकारों की संख्या 9 थी
राष्ट्रीय पुरस्कार शिल्पकारों की संख्या 10 थी
2018 में अब तक राज्य स्तरीय पुरस्कार शिल्पकारों की संख्या 91 और राष्ट्रीय पुरस्कार शिल्पकारों की संख्या 18 हो गई है.

मुख्यमंत्री कहते हैं कि शिल्पकारों को बाजार उपलब्ध कराने के विशेष व्यवस्था की गई है. 11 जिलों में बाजार केन्द्र तैयार किए गए हैं.

छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से माटीकला बोर्ड का गठन शिल्पकारों की हर संभव मदद दी जा रही है. शिल्पकारों को पुरस्कार दिया जा रहा है. उन्हें आर्थिक सहायता हर माह दी जा रही है. इसके साथ शिल्पकारों को लोन देकर भी उन्हें विकसित किया जा रहा है.

माटी कला बोर्ड

कुम्हारों और माटीशिल्पियों के आर्थिक एवं तकनीकी विकास के लिए 14 मार्च 2012 को छत्तीसगढ़ माटी कला बोर्ड का गठन किया गया है.

माटी शिल्पियों को प्रशिक्षण और रोजगार देने के लिए महासमुन्द जिले के गढ़फुलझर में सात अक्टूबर 2014 से राज्य की प्रथम सिरेमिक ग्लेजिंग यूनिट शुरु किया गया है. इससे 400 माटी शिल्प परिवारों को रोजगार मिल रहा है.

कुम्हार टेराकोटा योजना के तहत माटी शिल्पियों को अब तक 3 हजार 745 नग उन्नत तकनीकी के विद्युत चाक और 505 नग बेरिग चाक का निशुल्क वितरण किया गया है.

मुख्यमंत्री कहते है शिल्पकारों की मदद के लिए पंडरी हाट का निर्माण किया गया है. पंडरी हाट के में बड़ी संख्या में दुकाने लगाई गई है. इन दुकानों में साल भर शिल्पकलाओं का विक्रय होता है. सरकार की कोशिश है कि छत्तीसगढ़ दुनिया में सबसे बड़ा शिल्पकारों का गढ़ साबित होगा.

कोंडागांव निवासी ढोकरा शिल्पकार सुरेश बाघमारे कहते हैं सरकार ने विकास के लिए काफी काम किया है. आज सरकारी मदद से एक बाजार उपल्बध हुआ है. कहीं-कहीं कुछ कमी है. उन कमियों को भी दूर किया जा रहा है. सरकारी मदद का असर है आज शिल्पकारों के पास साल भर काम रहता है. सरकार की सही नियत और सोच का परिणाम है अब शिल्पकला से कोई पीछे नहीं हट रहा है.

छत्तीगढ़ के शिल्पकला को राष्ट्रीय स्तर पर किस तरह मंच मिल रहा है और कैसे शिल्पकारों की जिंदगी बदल रही है. आखिर शिल्पकारों की मांग है क्या और कैसे छत्तीसगढ़ में आयोजित हुआ राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम है. ये सब दिखाएंगे आगे.

छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से हस्त शिल्पकारों के लिए बनाई गई योजनाओं का असर ये हैं कि आज साल भर शिल्पकारों के पास काम काम रहता है. यहीं नहीं सरकार की ओर से शिल्पकारों के परिवारों को आर्थिक सहायता के साथ-साथ उनके बच्चों की अच्छी शिक्षा भी दी जा रही है. साथ ही कलाकारों को प्रशिक्षण के लिए बाहर भी भेजा जाता है. कोंडगांव में तो सरकार की ओर शिल्पग्राम भी बनाया गया है. वहीं राजधानी रायपुर में पहली बार राष्ट्रीय स्तर का शिल्प सम्मान समारोह भी आयोजित किया गया.

इन खूबसूरत शिल्पकलाओं को देखना सुखद अनुभति है. ये कला बस्तर के ढोकरा आर्ट की है. इस शिल्पकला की मांग आज भारत ही नहीं दुनिया की कई देशों में है. कोंडागांव ढोकरा शिल्पकला का गढ़ है. यहां सरकार की ओर से शिल्पग्राम भी बनाया गया. सरकारी प्रशिक्षण केन्द्र झिटकू-मिटकू भी है. यहां शिल्पकारों को सरकार की ओर से नई तकनीकों के साथ प्रशिक्षण भी दिया जाता है. इसके साथ ही सरकार की कोशिश यह भी है कि इन्हें बाजार भी उपल्बध हो. लिहाजा सरकार सीधे इनसे शिल्पकला खरीद उन्हें दुकानों तक उपल्बध कराती है. शिल्पकार तीरथराम कहता है कि आज 1 रुपिये के खर्च पर 5 रुपिये की आमदानी हो रही है. शिल्पकला में रहते हैं देश-दुनिया में वे भ्रमण कर चुके हैं. वह इस बात से बेहद खुश हैं सरकार अब शिल्पकारों की सुध ले रही है.

वहीं बस्तर आर्ट पर काम करने वाला तिजऊ राम भी सरकार की योजना की मदद से आज शिल्पकारों को एक मुकाम मिला है. सरकारी मदद नहीं मिलती तो हमारी कला गांव में दब के रह जाती है. आज हमारे में बाजार है, अपने कला को दिखाने मंच है. इसके चलते देश-दुनिया तक हमारी मांग है.

छत्तीसगढ़ में शिल्पकलाकारों की संख्या, शिल्पकला की विविधता है कि आज राष्ट्रीय स्तर का सम्मान छत्तीसगढ़ में हुआ. पहली बार राजधानी रायपुर में राष्ट्रीय स्तर शिल्पकार सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. इस समारोह में देश भर राष्ट्रीय स्तर के शिल्पकार शामिल हुए. रायपुर के पं. दीनदयाल उपाध्याय सभागार में आयोजित राष्ट्रीय समारोह में दर्जनों शिल्पकारों को सम्मानित किया गया. इस समारोह में केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुई थीं. केन्द्रीय मंत्री ईरानी ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर बीते 4 सालों में 1 लाख 26 हजार करोड़ का हस्त शिल्प देश बाहर निर्यात हुआ है. विश्व में आज देश के शिल्पकारों की मांग है, शिल्पकलाओं की मांग है. केन्द्रीय मंत्री ईरानी ने यह भी कहा कि शिल्पकारों को पहचान देने एक कार्ड भी दिया गया है. इसमें देश भर के 17 लाख शिल्पकार शामिल है. इन्हें देश-दुनिया में भेजा जाता है, इन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ा जाता है. कलाकारों के कलाओं के लिए प्रदर्शनी लगाई जाती है.

वहीं केन्द्रीय वस्त्र मंत्री ईरानी ने यह भी कहा कि शिल्पकारों को आर्थिक रूप से बल देने के लिए मूद्रा योजना के तहत लोन देने की शुरुआत भी की गई है. इसके जरिए शिल्पकार अपने आपको ज्यादा विकसित कर पा रहे हैं.

राजधानी रायपुर में आयोजित शिल्पकारों के राष्ट्रीय सम्मान समारोह में सम्मानित होने वाले शिल्पकारों ने कहा कि आज सरकार की ओर से बड़ी मदद मिल रही है. शिल्पगुरु सम्मान मिलना अपने आप बड़ी बात है. सरकार की ओर से लगातार हस्त शिल्प के विकास के लिए काम किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ से बड़ा प्यार और सम्मान मिला है.

वास्तव में राज्य और केन्द्र सरकार से शिल्पकारों को इसी तरह मदद मिलती रही है तो आने वाले दिनों छत्तीसगढ़ के शिल्पकार दुनिया के भीतर न सिर्फ नाम कमाएंगे बल्कि शिल्पकारों की जिंदगी और उनकी दुनिया भी आर्थिक रूप से सशक्त होगी.

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