रायपुर। छत्तीसगढ़ के सरगुजा स्थित परसा केते बासन कोयला खदान मामले में सुप्रीम कोर्ट से केन्द्र सरकार, राजस्थान सरकार और अडानी समूह को झटका लगा. सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका में सुनवाई के बाद सभी को नोटिस जारी किया है. इस नोटिस के बाद खास तौर पर अडानी समूह की मुश्किलें बढ़ गई है. क्योंकि छत्तीसगढ़ में लगातार अडानी समूह के खिलाफ सरगुजा अंचल में धरना-प्रदर्शन और आंदोलन जारी है.

दरअसल सरगुजा के आरटीआई कार्यकर्ता दिनेश सोनी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में लगाई जनहित याचिका में कहा गया है कि परसा केते बासन कोयला खदान में पर्यावरण नियमों का खुलकर उल्लंघन किया किया जा रहा है. इस मामले में दिनेश सोनी की वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पैरवी की. मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ में सुनवाई.
याचिकाकर्ता दिनेश सोनी ने का कहना है कि परसा केते बासन कोल आबंटन राजस्थान सरकार को मिला है. लेकिन अवैध तरीके से वहां पर अडानी समूह खनन कर रहा है. यही नहीं जो खनन और पर्यावरण नियम उसकी अनदेखी की जा रही है. तय सीमा से अधिक क्षेत्र में खनन हो रहा है.

याचिका में दिनेश सोनी ने अडानी समूह पर लगाएं हैं ये आरोप

  • राजस्थान सरकार के साथ अडानी समूह का कोई अनुबंध नहीं
  • आबंटन से अधिक भूमि पर कब्जा
  • पुनर्वास नीति का पालन नहीं
  • प्रभावितों को रोजगार नहीं
  • सीएसआर मद का गलत उपयोग
  • माइनिंग का कचरा नदियों में
  • ड्रिलिंग और विस्फोट से खुदाई
    दिनेश सोनी का कहना है कि यह सबकुछ पूर्ण मनमानी तरीके से किया जा रहा और कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. दिनेश सोनी अपनी याचिका में यह भी कहा कि उक्त जंगल में स्थाई रूप से भालू, तेंदुआ और बाघ रहते हैं तथा हाथियों का हमेशा ग्राम घाटबर्रा केते में आते रहते हैं. बहुतों की जान यहां चली गई है.

दिनेश सोनी lalluram.com से बातचीत में कहा कि इलाके में अवैध मानइनिंग से आदिवासी खासे प्रभावित है. इसके साथ वन्यजीवों पर बड़ा खतरा मंडराने लगा है. लगातार स्थानीय निवासियों की ओर अडानी समूह के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है. राज्य सरकार से भी परसा केते बासन में हस्तेक्ष की मांग लगातार हो रही है. उन्होंने कहा कि अब हमें सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद है.