नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच लद्दाख सीमा पर गतिरोध बना हुआ है. शनिवार को भारत के थल सेना प्रमुख एमएम नरवणे ने बताया कि चीन के साथ सीमा पर हालत नियंत्रण में है. उन्होंने कहा कि चीन और भारत के बीच सैन्य स्तर पर कई स्तर पर बातचीत हो रही है. बातचीत के जरिए हम हर तरह के विवादित मुद्दों को सुलझाने में सक्षम हैं. वहीं नेपाल के साथ हुए सीमा विवाद पर नरवणे ने कहा कि दोनों देशों के बीच मजबूत भौगोलिक सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध हैं, जो आगे भी जारी रहेंगे.
सीमा पर हालात काबू में
थल सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा कि वे देशवासियों को भरोसा देना चाहते हैं कि चीना के साथ बॉर्डर पर हालात नियंत्रण में है. उन्होंने कहा कि चीन के साथ कई स्तर पर बातचीत चल रही है. जिसकी शुरुआत कमांडर लेवल वार्ता से हुई, इसके बाद दोनों पक्षों के बीच कमांडर लेवल की बातचीत हुई है.
थल सेना प्रमुख ने कहा कि इसके अलावा स्थानीय स्तर पर भी समान रैंक के कमांडर्स के बीच बातचीत हो रही है. इससे गतिरोध को सुलझाने की कोशिश की जा रही है. नरवणे शनिवार को देहरादून में आईएमए के पासिंग आउट परेड में हिस्सा लेने उत्तराखंड पहुंचे थे.
बातचीत से सुलझेगा विवाद
नेता प्रमुख ने कहा कि बातचीत के बाद दोनों पक्ष पीछे हटे हैं और हमें उम्मीद है कि लगातार बातचीत के जरिए भारत-चीन के बीच सीमा रेखा को लेकर जो भी विवाद है उसे हम सुलझा पाएंगे. उन्होंने कहा कि बॉर्डर पर सभी चीजें नियंत्रण में हैं.
बता दें कि शुक्रवार को गलवान क्षेत्र को लेकर भारत और चीन के मिलिट्री अफसरों के बीच बातचीत हुई. मेजर जनरल स्तर की इस बातचीत में गलवान क्षेत्र में तनाव को कम करने पर चर्चा हुई.भारत चीन के बीच वार्ता की शुरुआत 6 जून को हुई थी, जब दोनों के कॉर्प्स कमांडर मिलने थे. भारत की ओर से इसका नेतृत्व लेफ्टिनें हरिंदर सिंह ने किया था. जबकि चीन की ओर से मेजर जनरल लियू लिन बातचीत में शामिल थे.
इस बातचीत के बाद गलवान क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटी थी. शुक्रवार को रक्षा मंत्रा राजनाथ सिंह ने सीडीएस बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ बैठक की और सीमा पर हालात का संपूर्ण जायजा लिया.
नेपाल के साथ मजबूत संबंध- नरवणे
सेना प्रमुख नरवणे ने कहा कि नेपाल के साथ हमारे मजबूत रिश्ते हैं. नेपाल के साथ हमारे भौगोलिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक संबंध हैं. उन्होंने कहा कि नेपाल से पहले भी हमारे रिश्ते अच्छे रहे हैं और आगे भी रहेंगे. गौरतलब है कि लिपुलेख, कालापानी को नेपाली नक्शे में दिखाए जाने को लेकर दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव पैदा हो गए थे.