चंद्रकांत देवांगन, दुर्ग। छत्तीसगढ़ के भिलाई प्रवास पहुँचे विश्व हिंदू परिषद के नेता आचार्य धर्मेंद्र ने अपने कड़वे बोल से एक साथ कई लोगों पर निशाना साधा, कई मुद्दों पर उन्होंने बेबाक टिप्पणी की. यहाँ तक ही उन्होंने पीएम मोदी पर राम मंदिर के मुद्दे पर राजनीतिक करने का आरोप लगाया. आचार्य धर्मेंद्र राम मंदिर पर खुलकर बोले ही साथ ही उन्होंने ओवैसी पर भी करारा प्रहार किया. यही नहीं वे जेएनयू के मुद्दे पर भी बोलने से नहीं चुके.

आचार्य धर्मेंद्र का कहना है कि मुल्क के तकदीरों और उसकी आस्था का फैसला अदालतों में तय नही होना चाहि., भगवान राम के आशीष से एक पार्टी सत्ता के शिखर पर पहुँच गयी उनकी दृढ़ संकल्प शक्ति होनी चाहिए थी. मसले को निपटने पर राजनैतिक पार्टियाँ अपनी राजनीति ही साधने में लगी रही. उन्होंने राहुल गांधी पर चुटकी लेते हुए कहा कि दो साल पहले वे अयोध्या के दर्शन पर गए थे. पर प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी को अयोध्या आने की फुर्सत नही मिली. अब जब फैसला आ गया है तो कुछ लोग गगनचुंबी मूर्ति बनाने की राजनीति कर रहे है. राम मंदिर के पक्ष में फैसला आने के बाद जहाँ देश मे अमन सुकून और संतोष है तो कुछ लोग अब भी जहर उगलने का काम कर रहे है.

उन्होंने ओवैसी बंधुओं पर निशाना साधते हुए कहा कि अकबरुद्दीन और असदुद्दीन ओवैसी जैसे अराजक तत्व देश की आकांक्षा और शुभकामनाओं के विपरीत बातें कर लोगों को भड़का रहे है कि हमे खैरात नही चाहिए अदालत के फैसले को खैरात बताने वाले को समझना चाहिए कि अगर वो जिस देश मे रह रहे है और सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर इस तरह से टिप्पणी कर रहे है तो उन्हें समझना चाहिए कि उनके धर्म का मूल कहा से है और अगर देश मे रहना खैरात जैसा महसुस होता है तो उन्हें अरब, तुर्किस्तान, सहारा, ईरान, पाकिस्तान जैसे मुस्लिम देशों की तरफ रुख कर लेना चाहिए. ये लोग भारतीय संविधान के सदस्य बने है और देश मे अराजकता फैलाते है जिन्हें भारत माता की जयकार, वंदे मातरम बोलने में सहिष्णुता लगती है ऐसे लोगो का स्थान संसद, विधानसभा नही है ऐसे देशद्रोहियों को कारागार में होना चाहिए. ऐसी मानसिकता और विचारधारा केवल इनकी नही है बल्कि जेएनयू में भी ऐसी मानसिकता पल रही है जो नक्सलवाद जैसी गंभीर राजरोग समस्या की पोषक है जो गरीब निर्दोष आदिवासियों को बहलाकर अपनी रोटी सेकते है और देश की रक्षा में लगे वीर जवानों की हत्या करने में भी पीछे नही हटते.  ये टुकड़े टुकड़े गैंग के लोग स्वामी विवेकानंद जैसी महान विभूतियों की प्रतिमा तोड़ने से परहेज नही करते और अपनी ओछी हरकतों को क्रांति का नाम देते है.

आचार्य धर्मेंद्र ने कहा कि कम्यूनिज़्म दुनिया की सबसे कन्फ्यूज्ड विचार धारा है और इस विचारधारा से कन्फ्यूज्ड होकर मजदूरों और गरीबो की लडाई लड़ने की बात कहकर उसे क्रांति का नाम देने वाले लोग जेनएयू में बसते है. वो पूंजीपतियों और मजदूरों को एक नज़र से देखते है पर अगर उद्योगपति नही होंगे तो मजदूर कहा से आएंगे इस बात को भी उन्हें सोचना चाहिए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना
आचार्य धर्मेंद्र ने कहा कि अयोध्या मामले का सबसे पहला दोषी हूँ जिस पर मुकदमा शुरू दिन से चला. फैसला मंदिर के पक्ष में आने के बाद सरकार में बैठे कुछ लोग गगनचुंबी मूर्ति की बात कह रहे है. 56 इंच वाले प्रधानमंत्री ने सरदार वल्लभभाई पटेल की स्टेच्यू ऑफ यूनिटी बनवाई है. अगर आज सरदार पटेल होते तो वो सबसे ज्यादा इस मूर्ति के विरोध में होते यूनिटी और एकता के नाम पर राजनीतिक पार्टियां अपनी रोटी सेंक रही है. वही हर हर मोदी वाले नारे को लेकर भी उनका कहना था कि वीर शिवाजी ने हमें हर हर महादेव के उद्घोष का नारा दिया था पर हर हर मोदी कहने का मतलब ईश्वर के समतुल्य अपने को रखने जैसी बात है और यह अपराध से कम नही. किसी दूसरे कौम में अगर इस तरह की बात की जाती अपने को खुदा के समकक्ष बताने की कोशिश करने वाले को ईशनिंदा के आरोप में हत्या कर दी जाती. इसीलिए इस तरह के नारेबाजी करने से पहले अपने आपको हिंदुत्ववादी पार्टी कहने वालों को कई दफे सोचना चाहिये.

जनसंख्या नियंत्रण पर विवादित बयान
एक तरफ देश में सरकारे पॉपुलेशन विस्फोट पर गंभीरता से विचार कर रही है तो ऐसे में आचार्य धर्मेंद्र का कहना था कि संविधान में ऐसा कोई कानून नही है कि कितने बच्चे पैदा करने चाहिए. हिंदुओ को चाहिए कि वो अधिके से अधिक बच्चे पैदा करें. वही अगर कोई कानून बनाया जाता भी है तो ऐसा कानून बनना चाहिए कि जिसमे जितनी पॉवर है और पालने की क्षमता है वो उतने बच्चे पैदा करे स्थान कम पड़ता है तो सारा संसार है बसने के लिए, सिर्फ बर्थ कंट्रोल का ठेका हिन्दू ही क्यों ले और भी कौमें है ?  उनको यह पहल करनी चाहिए जिन्होंने देश और दुनिया में जनसंख्या विस्फोट जैसी समस्या पैदा की है.