रायपुर। जानकारी का अभाव कितना घातक हो सकता है यह आजकल सोशल मीडिया में वायरल होने वाली झूठी खबरों से समझ सकते हैं. कभी-कभी ऐसी झूठी खबरें वायरल कर दी जाती है जो बेहद संवेदनशील होती हैं और लोगों की भावनाओं से जुड़ी होती है. कभी-कभी तो इसे धर्म से जोड़कर माहौल को साम्प्रादायिक रंग देने की कोशिश तक हो जाती है.

ऐसा ही कुछ 26 जवनरी गणतंत्र दिवस पर्व के मौके पर हुआ. जब पूरा देश राष्ट्रभक्ति में रंगा हुआ लोकतंत्र का जश्न मना रहा था. इस मौके पर कवर्धा से कांग्रेस विधायक और भूपेश सरकार में मंत्री मो. अकबर का एक वीडियो वायरल होता है. इस वीडियो में यह बताया गया है कि अकबर ने तिरंगा को सलाम नहीं किया. इसके बाद तो यह वीडियो तेजी से सोशल मीडिया के हर प्लेटफार्म पर वायरल होते रहा. लोग वीडियो को ठीक से देखे-समझे बिना बस वायरल ही करते रहे. किसी ने यह नहीं देखा कि वीडियो में असल में चल क्या रहा है.  वायरल करने वालों ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि इसकी सच्चाई है क्या. शायद वायरल करने वाले यह जानते ही न हो कि सलामी कब दी जाती है और कब सावधान की मुद्रा में खड़े होना होता है. शायद उन्हें यह पता ही नहीं की तिंरगे का नियम क्या है और भारतीय झंडा सहिता-2002 क्या कहता है.

चलिए अब आपको उस वीडियो के बारे में बताते हैं. दरअसल जिस वीडियो को वायरल कर यह बताया गया कि अकबर ने तिरंगे को सलाम नहीं किया. वह पूरी तरह से गलत है.  वीडियो को वायरल करके जो लिखा जा रहा और कहा जा रहा है वह गलत है.

सलामी देते हुए मंत्री मो. अकबर. साथ कलेक्टर अवनीश शरण और एसपी लाल उमेन्द सिंह

झंडा संहिता धारा-6
भारतीय झंडा संहिता-2002 कहता है. झंडा संहिता की धारा (6) में कहा गया है कि झंडे को फहराते या उतारते समय या झंडे को परेड में या किसी निरीक्षण के अवसर पर ले जाते समय वहां पर उपस्थित सभी लोग झंडे की ओर मुँह करके सावधान की अवस्था में खड़े होंगे. वर्दी पहने हुए व्यक्ति समूचित ढंग से सलामी देंगे. जब झंडा सैन्य टुकड़ी के साथ हो तो उपस्थित व्यक्ति खड़े होंगे या झंडे उनके पास से गुजरे तो वे उसको सलामी देंगे. गणमान्य व्यक्ति सिर पर कोई वस्त्र पहने बिना भी सलामी ले सकते हैं.


झंडा संहिता के नियम से यह साफ है कि वायरल वीडियो के जरिए जो दिखाया और बताया जा रहा वह पूरी तरह से गलत है. हमारी पड़ताल में यह साफ हो जाता है कि मंत्री मो. अकबर ने राष्ट्रीय ध्वज का कहीं से अपमान नहीं किया है.  बल्कि वे नियम के मुताबिक तिरंगा फहराने के राष्ट्र ध्वज की ओर मुख करके सावधान की मुद्रा में थे.

अगर झंडा संहिता को पढ़ लिए होंगे तो चलिए एक बार फिर देख लीजिए वो वीडियो जिसमें तिरंगे का अपमान बताकर वायरल किया गया. जबकि यह पूरी तरह से गलत निकला है.
देखिए ध्वजारोहण और परेड सलामी का पूरा वीडियो-( ये वही वीडियो जिसमें से आधा हिस्सा को काटकर वायरल किया गया था)


हमारी गुजारिश है कि सोशल मीडिया के इस दौर में कम से कम लोग कोई चीज वायरल करने से पहले बेहद सजग रहें. ताकि इससे किसी भी तरह की कोई गलत और भ्रामक खबरें वायरल न हो. खास तौर पर उस वर्ग से जो पढ़े-लिखें और शिक्षित हैं.