रायपुर- आम नागरिकों को उनके अनुरोध पर सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत समय-सीमा में सूचना उपलब्ध कराना चाहिए. संवेदनशील सूचनाओं की गोपनीयता बनाए रखने के लिए परिरक्षित सूचना को छोड़कर शेष सूचनाओं की जानकारी नागरिकों को उपलब्ध कराना सरकार और लोक प्राधिकारियों का कर्तव्य है. नागरिकों को शुद्ध और सही सूचना ही विधिक प्रावधानों के अनुसार उपलब्ध कराई जानी चाहिए. छत्तीसगढ़ के मुख्य सूचना आयुक्त एम.के. राउत आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रदेश की 125 जनपद पंचायतों की ग्राम पंचायतों में पदनामित आठ हजार जनसूचना अधिकारियों से चर्चा कर रहे थे. राउत ने ठाकुर प्यारे लाल छत्तीसगढ़ पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान निमोरा से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पंचायतों के जनसूचना अधिकारियों से चर्चा की.

राज्य मुख्य सूचना आयुक्त राउत ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत प्रस्तुत आवेदनों पर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार तत्परता से कार्रवाई की जानी चाहिए. उन्होंने इस अवसर पर पंचायतों में पदनामित जनसूचना अधिकारियों द्वारा पूछे गए सवालों एवं समस्याओं का समाधान भी किया. उन्होंने कहा कि कोई भी जानकारी जो कार्यलय में उपलब्ध है, परिरक्षित एवं व्यक्तिगत जानकारी को छोड़कर आम नागरिकों द्वारा मांगे जाने पर उपलब्ध कराई जानी चाहिए. इसके लिए आवेदन पत्र के साथ निर्धारित आवेदन शुल्क की रसीद या गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने का प्रमाण पत्र होना चाहिए.

राज्य सूचना आयुक्त मोहन राव पवार और अशोक अग्रवाल, राज्य सूचना आयोग के उपसचिव  विजय कुमार आदिले तथा अवर सचिव द्रोपती जेसवानी ने जनसूचना अधिकारियों को सूचना प्राप्ति के लिए अधिनियम की धारा 6 (1) के तहत प्रस्तुत आवेदनों पर कार्रवाई की बारीकियों की जानकारी दी. उन्होंने आवेदनों पर समय-सीमा में कार्रवाई करने का आग्रह किया. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर परिचर्चा के दौरान ठाकुर प्यारेलाल राज्य पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान के संचालक मणि बासल तथा संस्थान के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.