रायपुर। भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस के घोषणा पत्र के जनोन्मुखी प्रावधानों और जन स्वीकार्यता से घबरा कर कांग्रेस के घोषणा पत्र में आईपीसी की धारा 124(ए) के प्रावधानों को समाप्त करने के वायदे के बारे में गलत दुष्प्रचार कर रही है। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि देशद्रोह के तमाम कानून यथावत रहेंगे। कांग्रेस के घोषणा पत्र के अनुसार-देशद्रोह से संबंधित आईपीसी की महत्वपूर्ण धारायें 121,122,123 एवं 124 यथावत् जारी रहेंगे। केवल 124(ए) जो कि देश के बुद्धिजिवी, छात्र, पत्रकार, लेखक, कलाकार और आम नागरिको के अनुसार विगत 5 वर्षो में मोदी सरकार की दुर्भावना के चलते वाक-अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक सरकार में सरकार से सवाल पूछने की आजादी को बाधित करने लगी है।

सुशील शुक्ला ने आगे कहा कि कन्हैया कुमार, हार्दिक पटेल के खिलाफ भी मोदी सरकार ने इसी धारा का दुरूपयोग किया था, केवल उसे ही खत्म करने की बात कही गयी है, जो कि लोकतंत्र की मजूबती की दिशा में वर्तमान परिप्रेक्ष्य में आवश्यक हो गया। मोदी सरकार ने राजनैतिक दुर्भावनावश 124(ए) का पूरे पांच साल दुरूपयोग किया। कन्हैया कुमार, हार्दिक पटेल के खिलाफ भी मोदी सरकार ने इसी धारा का दुरूपयोग किया था। आईपीसी की धारा 124 कानून ब्रिटिश सरकार की देन है जिसे 1860 में बनाया गया और 1870 में आईपीसी में शामिल कर दिया गया। वर्तमान में ब्रिटेन में इस कानून को खत्म कर दिया है।

विगत पांच वर्षो में सरकार इस कानून के चलते अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रहार करती रही है। वर्ष 2014 में ही देशद्रोह के 47 मामले दर्ज किये गये और इसके सिलसिले में 58 लोगों को गिरफ्तार किया गया लेकिन सरकार अब तक केवल एक व्यक्ति को ही दोषी सिद्ध करा सकी है। 2015 में हार्दिक पटेल को गुजरात में पार्टीदारों के लिये आरक्षण की मांग पर गुजरात पुलिस ने देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार किया था। कांग्रेस सांसद एवं अभिनेत्री राम्या के केवल इस कथन पर कि वह पाकिस्तान को नर्क नहीं मानती, उनके खिलाफ देशद्रोह के तहत अपराध दर्ज करने की मांग उठने लगी। धारा 124(ए) का दुरूपयोग छात्रों, पत्रकारों और सामाजिक रूप से सक्रिय विद्वानों का नियमित उत्पीड़न में होने लगा है। विगत दिनों ही एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट संदेश में कहा था कि सरकार की आलोचना करने पर किसी पर देशद्रोह या मानहानि के मामले नहीं थोपे जा सकते।

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और यूयू ललित की पीठ ने कहा था कि यदि कोई सरकार की आलोचना करने के लिये बयान दे रहा है तो वह देशद्रोह या मानहानि के कानून के तहत अपराध नहीं करता। उसके बाद भी कई मामलों में बड़े-बड़े लेखक पत्रकार, छात्रों और कलाकारों को धारा 124(ए) के नाम पर डर पैदा करने की कोशिश लगातार जारी रही और विभिन्न मुद्दों पर सरकार से असहमति को दबाने का प्रयास जारी रहा। मोदी की सरकार की इसी अतिवादी आचरण के कारण देश के अधिसंख्यक बुद्धजीवी इस कानून को समाप्त करना चाहते थे, इसीलिये इसे समाप्त करने का कांग्रेस ने वायदा किया है।