आपको बता दे कि माडा क्षेत्र 10 हजार या उससे ज्यादा आबादी वाले एक से ज्यादा राजस्व गांवों के ऐसे क्षेत्र को कहा जाता है, जहां 50 प्रतिशत या उससे अधिक जनसंख्या आदिवासियों की होती है। छत्तीसगढ़ के 07 जिलों में 09 माडा क्षेत्र हैं इनमें से रायगढ़ जिले में 02 माडा क्षेत्रों -गोपालपुर और सारंगढ़ में क्रमशः 33 और 100 गांव शामिल हैं। राजनांदगांव जिले के नचनिया माडा क्षेत्र में 77, बलोदाबाजार जिले के माडा क्षेत्र बलौदाबाजार में 147,जांजगीर-चांपा जिले के रूजगा माडा क्षेत्र में 46, कबीरधाम जिले के कवर्धा माडा क्षेत्र 219, महासमुंद जिले के माडा क्षेत्र महासमुंद-1 में 200 और महासमुंद-2 में 215 तथा धमतरी जिले के गंगरेल माडा क्षेत्र में 43 गांव शामिल हैं। इन सभी माडा क्षेत्र के गांवों में अंत्योदय एवं प्राथमिकता वाले राशनकार्ड धारकों की संख्या एक लाख 27 हजार 114 है। अनुसूचित जनजाति बहुल इन माडा क्षेत्रों में विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा और कमार समुदायों के लोग भी निवास करते हैं,उन्हें भी इसका लाभ मिलेगा.
इसी तरह छत्तीसगढ़ स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालयीन शैक्षणिक आदर्श सेवा नियम 2018 को प्रदेश में लागू किया जाएगा. इसके अन्तर्गत चिकित्सा महाविद्यालयों और दंत चिकित्सा महाविद्यालयों के लिए शिक्षकों की नियमित नियुक्ति के अधिकार स्वशासी समिति की कार्यकारिणी समिति को होंगे और नियुक्तियां पारदर्शी तरीके से होंगी, जिनके वेतन भत्तों के भुगतान की व्यवस्था स्वंय के राजस्व से करने के लिए महाविद्यालय समर्थ रहेगा. यह भी प्रावधान किया गया है कि चयनित शिक्षक अपने-अपने कॉलेजों में ही कार्य करेंगे और उनकी सेवाएं अस्थानांतणीय होंगी. इन नियमों के तहत अधिष्ठाता, प्राचार्य और अस्पताल अधीक्षक जैसे प्रशासनिक पदों पर भर्ती नहीं की जाएगी। पूर्व से कार्यरत एवं लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित नियमित शिक्षकों की सेवा शर्तें पूर्ववत रहेंगी.