रायुपर। प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर है. पहले चरण के मतदान के लिए नामांकन की प्रक्रिया की भी शुरुआत हो गई है. चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों की भी कसरतें तेज हो गई है. कांग्रेस, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़, बसपा ने अपने उम्मीदवारों की एक सूची जारी कर दी है वहीं सत्तारुढ़ दल भाजपा के साथ ही एनसीपी ने अभी तक अपने प्रत्याशियों की सूची जारी नहीं की है. एनसीपी प्रदेश की 90 सीटों में से 40 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. प्रथम चरण के लिए 12 नवंबर को पहले चरण की 18 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनाव में एनसीपी 6 से 7 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारने जा रहा है. जिसमें कि बस्तर संभाग में 4 सीट और राजनांदगांव जिले की 2 से 3 सीट पर अपने प्रत्याशी उतार सकती है. शनिवार शाम को पार्टी द्वारा प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी जाएगी.

भाजपा-कांग्रेस के नेता हो सकते हैं शामिल

एनसीपी के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री प्रफुल्ल पटेल के 23 या 24 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के दौरे पर आने की चर्चा है. माना जा रहा है कि उनके आने के बाद पार्टी में भाजपा कांग्रेस के कई बड़े नेता शामिल हो सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक दोनों ही पार्टी के कई बड़े नेता प्रफुल्ल पटेल से सीधे संपर्क में हैं. जिन नेताओं के एनसीपी में शामिल होने की चर्चा जोरों पर है उनमें कांकेर से वर्तमान विधायक शंकर धुर्वा भी शामिल हैं. कांग्रेस द्वारा शंकर धुर्वा की टिकट काटकर पूर्व आईएएस अधिकारी शिशुपाल सोरी को कांकेर से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है जिसकी वजह से वे पार्टी से नाराज चल रहे हैं. माना जा रहा है कि शंकर धुर्वा समेत भाजपा कांग्रेस के कई बड़े नेता पटेल के समक्ष एनसीपी में शामिल हो सकते हैं.

वोटों का प्रतिशत लगातार गिर रहा

विद्याचरण शुक्ल के नेतृत्व में 2003 के विधानसभा चुनाव में एनसीपी ने अच्छा प्रदर्शन किया था. एनसीपी की वजह से ही कांग्रेस के हाथों सत्ता की बागडोर निकल गई थी. 2004 में विद्याचरण अपने समर्थकों समेत पहले भाजपा और उसके बाद फिर वे कांग्रेस में वापसी कर लिए थे. वोटों के प्रतिशत के लिहाज से बात करें तो 2008 के विधानसभा चुनाव में एनसीपी को 17 फीसदी वोट हासिल हुए थे, जबकि बीजेपी 40.39 और 39.88 प्रतिशत वोट हासिल हुए था. वहीं 2013 चुनाव में भाजपा को 41.18, कांग्रेस को 40.43 मिला जबकि एनसीपी के वोट प्रतिशत बड़ा गिरावट देखने को मिला. एनसीपी को 2013 के चुनाव में महज 1.99 प्रतिशत वोट ही हासिल हुए. जो एनसीपी 2008 में तीसरे स्थान पर थी वह 2013 के चुनाव में छत्तीसगढ़ के भीतर सबसे आखरी पायदान पर रही है. वहीं पार्टी बीते पांच सालों में प्रदेश में कहीं पर भी कोई विशेष उपस्थिति भी नहीं दर्शा पाई है.