वैभव बेमेतरिहा, रायपुर। छत्तीसगढ़ के 52 फीसदी पिछड़ा वर्ग में एक बड़ा वर्ग और बहुत मजबूत वर्ग है साहू समाज. अनुमानित आंकड़े के मुताबिक कोई 20-22 प्रतिशत. कोई भी राजनीतिक दल साहू समाज से इतर किसी चुनाव को सोचकर नहीं चल सकता है, न ही किसी भी मायने में नजर अंदाज कर सकता है. क्योंकि साहू समाज जितना प्रभाव अनारक्षित सीटों पर रखता है उसी के आस-पास आरक्षित सीटों पर भी. छत्तीसगढ़ में चाहे पंचायत का चुनाव हो या फिर विधानसभा या लोकसभा का. सभी चुनाव में संगठित तौर पर साहू समाज एक रहा है. साहू समाज की एकता और संगठन क्षमता को कोई भी नकार नहीं सकता. कम से कम लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर के बीच मिली हार के बाद बीजेपी तो बिल्कुल नहीं.
दरअसल 2014 लोकसभा चुनाव में दुर्ग सीट पर भाजपा की ओर सरोज पाण्डेय के खिलाफ कांग्रेस से ताम्रध्वज साहू मैदान में थे. ठीक चुनाव के पहले सरोज पाण्डेय का साहू समाज एक बड़ा विवाद हो गया था. विवाद इतना की साहू समाज एक होकर सरोज पाण्डेय को हराने का निर्णय कर लिया. असर ये हुआ कि मोदी लहर के बीच बीजेपी छत्तीसगढ़ में 11 में से 10 सीटें जीती वहीं दुर्ग की एक मात्र सीट हार गई. समीक्षा में ये बातें साफ हो गई कि बीजेपी को साहू समाज की नाराजगी भारी पड़ी.
वैसे आपको बता दें कि 11 लोकसभा सीटों में बस्तर और सरगुजा सीट को छोड़ दे तो बाकी 9 सीटों में साहू समाज का प्रभाव दिखता है. खास तौर पर दुर्ग, बिलासपुर, रायपुर, महासमुंद, राजनांदगांव, जांजगीर और कोरबा लोकसभा सीटों पर स्पष्ट तौर पर. मौजूदा लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने साहू समाज से दो उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है एक महासमुंद से चुन्नीलाल साहू और दूसरे बिलासपुर से अरुण साव. वहीं कांग्रेस ने भी दो साहू को प्रत्याशी बनाया है. इसमें महासमुंद से धनेन्द्र साहू और राजनांदगांव से भोलाराम साहू शामिल है.
अब बात उस बयान कि जिससे साहू समाज के समीकरणों पर विश्लेषण की जरूरत आन पड़ी है. दरअसल पीएम मोदी ने बिना नाम लिए नामदार कहते हुए राहुल गांधी के उस बयान का भी जिक्र किया जिसमें राहुल गांधी ने पीएम मोदी, से लेकर नीरव मोदी, ललित मोदी आदि को लेकर चोर है कहा था. राहुल गांधी के बयान को खुद की जाति और छत्तीसगढ़ के साहू समाज से जोड़ते हुए मोदी ने कहा कि क्या साहू समाज के सभी लोग चोर हैं क्या ? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ये बाते छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण के चुनाव प्रचार के दौरान दो चुनावी सभाओं में में कही. उन्होंने साहू समाज को खुद से जोड़ते हुए एक तरह से नया राजनीतिक दाँव खेल दिया है. मोदी ने कोरबा और भाटापारा की सभा में कहा कि छत्तीसगढ़ में जो साहू हैं वो गुजरात में होते तो मोदी कहलाते. फिर उन्होंने सभा मौजूद लोगों से पूछा तो सब चोर हैं क्या ?
जाहिर है नरेन्द्र मोदी ने एक तरह से छत्तीसगढ़ में साहू समाज के प्रभाव और असर को देखते हुए जाति कार्ड खेलने से नहीं चुके हैं. शायद उन्हें या कहिए बीजेपी वालों को 2014 का चुनाव याद भी होगा. ऐसे में भावनात्मक रूप से साहू समाज को खुद से मतलब मोदी सरनेम से जोड़कर एक माहौल बनाने की कोशिश जरूर कर गए. ये और बात है कि अब भाजपा के नेताओं ने कहा कि मोदी ने किसी तरह से कोई जाति कार्ड नहीं खेला है. उनके बयान के कुछ और मतलब निकाले जा रहे हैं.
वैसे इससे कतई इंकार नहीं किया जा सकता है कि जातिगत राजनीति से इतर छत्तीसगढ़ के चुनाव में समाज का अपना वर्चस्व तो हमेशा से कायम रहा है. ऐसे में सवाल ये है कि छत्तीसगढ़ के साहू समाज पर मोदी रंग चढ़ेगा ? क्योंकि मोदी ने तो कह दिया है कि छत्तीसगढ़ में जो साहू वही गुजरात में मोदी और गुजरात में जो मोदी है वो छत्तीसगढ़ में साहू है. लेकिन साहू समाज वाले भी ऐसा कुछ सोच रहे हैं जैसा की पीएम मोदी सोच रहे हैं ? फिलहाल इसका न तो अनुमान लगाया जा सकता है और न ही इस पर कोई टिप्पणी की जा सकती है. बस अगर कुछ किया जा सकता है तो वो है 23 मई को आने वाले लोकसभा चुनाव के नतीजे का इंतजार. परिणाम के बाद ही पता चलेगा कि पीएम मोदी के बयान के बाद प्रदेश के साहू समाज पर मोदी रंग चढ़ा या नहीं?