रायपुर। 28 नवंबर को पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के साहित्य एवं अध्ययनशाला विभाग में छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस मौके पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इस मौके पर छत्तीसगढ़ी संस्कृति की झलक देखने को मिली. चीला-फरा स्वाद के बीच कुलपति, प्राध्यपकों और छात्रों ने छत्तीसगढ़ी भाषा में पूर्ण शिक्षा के साथ-कामकाज की भाषा बनाने को लेकर चर्चा की. विश्वविद्यालय के बहुत से छात्र छत्तीसगढ़ी वेश-भूषा के साथ नजर आए. वहीं छात्रों ने विश्वविद्यालयों में छत्तीसगढ़ी व्यंजन बनाकर राजभाषा दिवस को खास बना दिया.
चीला के संग राजभाषा दिवस-
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इस मौके पर कुलपति डॉ. केएल वर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा अनमोल है. लेकिन आजकल देखा रहा है कि छत्तीसगढ़ में रहने वाले लोग ही इसकी अस्मिता को भूलते जा रहे है. जबकि अपनी भाषा बात करना स्वाभिमान की बात है. छत्तीसगढ़ी भाषा में शिक्षण, पठन-पाठन के साथ ही भाषा को बचाया जा सकता है. हमारी कोशिश है कि हम अपनी भाषाई अस्मिता को बचाकर रखे. मैं युवा पीढ़ी से अपील करता हूँ कि वह छत्तीसगढ़ी पढ़े,लिखे और बोले.  छत्तीसगढ़ की संस्कृति बिना भाषा के अधूरी है.
कुलपति केएल वर्मा की बात-
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वहीं साहित्य एवं अध्ययनशाला विभाग की अध्यक्ष डॉ. शैल शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ की पहचान ही छत्तीसगढ़ी है. हमारी मातृ अस्मिता ही छत्तीसगढ़ी है. हम इस बात पर बेहद गौरवांवित होते हैं कि हमारे विश्वविद्यालय में छत्तीसगढ़ी भाषा में एमए की कक्षाएं संचालित है. विश्वविद्यालय परिवार छत्तीसगढ़ी राजभाषा को लेकर सतत् काम करते रहेगा.