रायपुर. श्री गणेश विनायक आई हॉस्पिटल छत्तीसगढ़ का सबसे प्रतिष्ठित आई हॉस्पिटल जहां गत 4 महीनों में सफलतापूर्वक 30 कॉर्नियल प्रत्यारोपण ऑपरेशन किेए जा चुके हैं. यह एक बहुत बड़ा आंकड़ा है जो अपने आप में साबित करता है कि यहां की शल्यचिकित्सा और पोस्ट सर्जिकल देखभाल बेजोड़ है.

हॉस्पिटल, आई केयर और आई सर्जरी के लिए सबसे अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है. यहां नेत्र विशेषज्ञों की युवा टीम सक्षम और उत्साही है. आज तक श्री गणेश विनायक आई हॉस्पिटल ने मध्य भारत क्षेत्र में सफलतापूर्वक अधिकतम संख्या में कॉर्नियल सर्जरी का एक सराहनीय रिकॉर्ड अर्जित किया है. हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. चारुदत्त कलमकर ने बताया पिछले 4 महीनों में 30 कॉर्नियल प्रत्यारोपण किए जा चुके हैं.

निस्संदेह अस्पताल समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को भी समझता है. इसी के चलते सरकार की स्मार्ट कार्ड योजनातर्गत अधिकांश शल्य-चिकित्साएं पूरी की गई हैं ताकि जरुरतमंदों को अधिक से अधिक मात्रा में लाभ मिल सके. जो सर्जरी में मरीजों को किसी अन्य मेट्रो शहर में 70-80 हजार रुपये का व्यय होता है वहीं स्मार्ट कार्ड के माध्यम से काफी रियायत संभव है जो कि गरीब मरीजों के लिए हितकारी और लाभदायक भी है. डॉ. चारुदत्त कलमकर, डॉ. जयदीप सिंह पोपली एवं उनकी टीम ने उन जटिल कॉर्निया रोगों का इलाज किया है जिसके लिए मरीजों को मेट्रो शहर जाना पड़ता था.

उन्होंने आगे बताया कि हमारे पास कुछ ऐसे केसेस हैं ,जैसे सारंगढ़ के २५ वर्षीय नरेश राणा की दाहिनी आंख में कॉर्नियल जटिलता थी जिसके कारण उनकी अस्पष्ट दृष्टि थी और वह उस आँख से कुछ भी नहीं देख पाते थे, लेकिन नेत्र प्रत्यारोपण के बाद उनकी दृष्टि वापस आई. इसी तरह एक ६५ वर्षीय रोगी–जनिक बाई निर्मलकर की दाहिनी आँख में कॉर्नियल जटिलता के साथ ही पुतली में बहुत अधिक संक्रमण होने के कारन पुतली गल चुकी थी जिसे कॉर्नियल प्रत्यारोपण कर इलाज किया गया और वह सफल भी रहा .”

डॉ. जयदीप सिंह पोपली एक कॉर्निया विशेषज्ञ हैं जो दिल्ली में प्रशिक्षित हैं और श्री गणेश विनायक नेत्र अस्पताल में पूर्ण समय उपलब्ध है. डॉ. जयदीप सिंह पोपली ने आगे बताया कि जिन रोगियों में जटिल कॉर्नियल समस्या थी और उन्होंने सारी उम्मीद खो दी थी, उन्हें कॉर्नियल प्रत्यारोपण से बहुत लाभ हुआ. यह सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमे क्षतिग्रस्त या रोगग्रस्त कॉर्निया को डोनेट किये गए कॉर्नियल टिश्यू द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है. इसी कॉर्नियल प्रत्यारोपण के माध्यम से कॉर्नियल दृष्टिहीनता का इलाज करना भी संभव है जिसके लिए सभी को हॉस्पिटल द्वारा इस अभियान से जुड़ने के लिए प्रेरित किया जाता रहा है.

भारत में लगभग 1.25 करोड़ लोग दृष्टिहीन है, जिसमें से करीब 30 लाख व्यक्ति नेत्र प्रत्यारोपण द्वारा दृष्टि प्राप्त कर सकते हैं. नेत्रदान महादान है क्यूंकि मृत्यु उपरांत यदि कोई व्यक्ति नेत्रदान करता है तो 2 कॉर्नियल दृष्टिहीनता के शिकार मरीजों के जीवन में रौशनी आ सकती है. अस्पताल में नेत्र प्रत्यारोपण हेतु सभी सुविधाएं नेत्र दान द्वारा दृष्टिहीनता को समाप्त करने के इस स्वप्न को संभव बनाती है.