रायपुर- सरकार ने छत्तीसगढ़ के दूर-दराज के इलाकों तक संचार नेटवर्क के विस्तार के लिए संचार क्रांति योजना की शुरूआत करते हुए इस योजना के तहत लगभग 50 लाख लोगों को सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने के लिए निःशुल्क स्मार्ट फोन देने का अभियान शुरू कर दिया है. योजना का क्रियान्वयन राज्य शासन की संस्था छत्तीसगढ़ इन्फोटेक प्रमोशन सोसायटी (चिप्स) द्वारा किया जा रहा है.
चिप्स के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि योजना पर अमल के लिए खुली और पारदर्शी निविदा प्रक्रिया अपनाई गई है. इसके लिए राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर के सर्वाधिक प्रसारित समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर निविदाएं आमंत्रित की गई. 08 दिसम्बर 2017 को पहली बार निविदा आमंत्रित की गई. 14 फरवरी 2018 को दूसरी बार और 18 मार्च 2018 को तीसरी बार निविदा आमंत्रण का विज्ञापन जारी किया गया. पहली निविदा की अवधि में कोई भी निविदा नहीं आई. दूसरी बार की निविदा आमंत्रण में केवल एक निविदा प्राप्त हुई, जबकि तीसरी बार के विज्ञापन प्रकाशन के बाद मेसर्स रिलायंस जियो (माईक्रोमैक्स कंर्सोटियम के साथ) एवं मेसर्स लावा (एयरटेल कंर्सोटियम के साथ) की निविदाएँ प्राप्त हुई. यह निविदा राज्य के उच्च स्तरीय प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा गठित की गयी समिति एवं निविदाकर्ताओं के प्रतिनिधियों के समक्ष खोली गयी, जिसमें रिलायंस जियो की निविदा की दर सबसे कम पायी गयी.
अधिकारियों ने यह भी बताया कि निविदा प्रक्रिया में बीएसएनएल को आमंत्रित करने का भी प्रयास किया गया. इसके लिए राज्य सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा दो पत्र दूरसंचार विभाग को भेजे गए. प्रमुख सचिव इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी द्वारा 16 दिसम्बर 2017 को अध्यक्ष, दूर संचार विभाग, भारत सरकार और अध्यक्ष-सह प्रबंध निदेशक, भारत दूरसंचार निगम लिमिटेड को पत्र भेजा गया. इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के संयुक्त सचिव द्वारा भी 19 मार्च 2018 को अध्यक्ष, दूरसंचार विभाग, भारत सरकार एवं सीएमडी, भारत दूरसंचार निगम लिमिटेड को तृतीय निविदा प्रक्रिया में शामिल होने का अनुरोध करते हुए पत्र भेजा गया था.
चिप्स के अधिकारियों ने संचार क्रांति योजना के मोबाईल फोन एवं अमेजन पर उपलब्ध मोबाईल फोन का तुुलनात्मक विवरण भी दिया. उन्होंने बताया कि संचार क्रांति योजना के अंतर्गत माईक्रोमैक्स 2$ मॉडल के स्मार्ट फोन वितरित किये जा रहे हैं, जिसमें बैटरी 1600 एमएएच से बढ़ाकर 1700 एमएएच की गयी है, जबकि अमेजन पर उपलब्ध मॉडल की बैटरी क्षमता 1600 एमएएच है. अमेजन पर कम बैटरी क्षमता का फोन 3200 रूपये में उपलब्ध है, जबकि छत्तीसगढ़ सरकार की संचार क्रांति योजना में यही मॉडल इससे कहीं कम दर 2509 रूपए 92 पैसे में राज्य शासन को प्राप्त हुआ है. इस प्रकार लगभग 45 लाख मोबाईल फोन की खरीदी पर राज्य शासन को लगभग 311 करोड़ की बचत हुई है. फोन की एमआरपी 4499 रूपये है, जिसके विरूद्ध शासन की बचत 895 करोड़ होती है. योजना की निविदा में ई-कॉमर्स कंपनियों जैसे- अमेजन, फ्लिपकार्ट आदि की भी भागीदारी का प्रावधान था, परंतु निविदा प्रक्रिया में किसी भी ई-कॉमर्स कंपनी ने भाग नही लिया. अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों में वितरण नेटवर्क काफी कम होता है, जिससे इन पर उत्पादों की कीमत प्रायः कम होती है.
दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों को राईट ऑफ वे हेतु प्रदाय सहयोग
अधिकारियों ने बताया कि केन्द्र सरकार के सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण 2011 में छत्तीसगढ़ में मोबाईल की पहुंच 29 प्रतिशत थी. छत्तीसगढ़ की विषम भौगोलिक परिस्थितियों एवं कम जनसंख्या घनत्व के कारण दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियां राज्य में नेटवर्क का विस्तार नहीं कर पा रही थी. इस योजना की संकल्पना राज्य में मोबाईल कनेक्टिविटी बढ़ाने हेतु की गई है, जिससे राज्य के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में डिजीटल डिवाईड कम होगा तथा राज्य की विकास दर में वृद्धि होगी. अधिकारियों ने यह भी बताया कि संचार क्रांति योजना के तहत जिन क्षेत्रों में मोबाईल कनेक्टिविटी नहीं है, उन क्षेत्रों में टेलीकॉम प्रदाता कंपनी द्वारा नेटवर्क कनेक्टिविटी प्रदाय किये जाने हेतु अधोसंरचना तैयार की जा रही है. उन्होंने बताया कि 1000 से अधिक आबादी वाले ग्रामों जिनमें नेटवर्क कनेक्टिविटी नहीं है वहां 1500 से अधिक नये मोबाईल टॉवर लगाये जा रहे हैं.
उन्होंने बताया कि निविदा की शर्तों के अनुसार शासन द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग, रेल्वे या वन क्षेत्र को छोड़कर अन्य स्थानों पर ऑप्टिकल फाईबर केबल बिछाने हेतु निःशुल्क राईट ऑफ वे प्रदाय किया जायेगा. निविदा की शर्ताें के अनुसार ऑप्टिकल फाईबर केबल बिछाने से हुई क्षति के लिये सेवा प्रदाता कंपनी को शासन को भुगतान करना होगा. रिलायंस जिओ राज्य के उन ग्रामों में जहां नेटवर्क नहीं है, नये टॉवर लगाने हेतु लगभग 450 करोड़ का निवेश कर रहा है तथा वह इनके संचालन एवं संधारण हेतु प्रतिवर्ष लगभग 135 करोड़ व्यय करेगा.