जहानाबाद। बिहार के जहानाबाद में मानवता को शर्मसार करने वाला एक मामला सामने आया है. एक लावारिश लाश को लेकर नीतीश कुमार के दो विभागों ने एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहे और 12 दिन पड़े-पड़े एक महिला का शव सड़ गया. शव में कीड़े पड़ गए.
बताया जा रहा है कि 12 अगस्त को एक महिला को बेहोशी की हालत में सदर अस्पताल लाया गया था. जहां इलाज के दौरान दो दिन बाद 14 अगस्त को उसकी मौत हो गई. महिला की मौत की सूचना अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस को दी. पुलिस ने मामले की जांच शुरु कर दी. पुलिस को जब इस बात का पता चला कि महिला का इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हुई है तो पुलिस ने शव लेने से इंकार कर दिया.
ऐसे मामले में जब मृतक की पहचान ना हो और उसकी मृत्यु इलाज के दौरान किसी अस्पताल में हुई हो तो शव का दाह संस्कार करने की जिम्मेदारी अस्पताल प्रबंधन या फिर स्थानीय निकाय की है. बिहार पुलिस मैनुअल एक्ट में भी इसका स्पष्ट उल्लेख है.
इधर अस्पताल प्रबंधन द्वारा 17 अगस्त को एसडीओ और 23 अगस्त को डीएम को पत्र लिखकर शव का पोस्टमार्टम और दाह संस्कार के लिए संबंधित पदाधिकारी को निर्देशित करने का अनुरोध किया. अस्पताल, पुलिस, नगर परिषद और डीएम के बीच पत्राचार और एक दूसरे पर जिम्मेदारी थोपने में ही 12 दिन गुजर गए. पोस्मार्टम रूम में रखे-रखे महिला का शव सड़ गया और उसमें कीड़े लग गए.
उधर इस मामले की जानकारी मीडिया को लगी तो अानन-फानन में महिला के शव का दाह संस्कार कर दिया गया. वहीं इस पूरे मामले में जहानाबाद के डीएम आलोक रंजन घोष ने गैर जिम्मेदाराना बयान देते हुए कहा कि फंड की कमी की वजह से देर हुई. उन्होंने कहा इस महिला को किसी शख़्स ने अस्पताल में भर्ती कराया था और उसके बाद वो भाग गया, दो दिन बाद महिला की इलाज के दौरान मौत हो गई. दो दिन उस महिला का इलाज चला था इसलिए अज्ञात केस भी दर्ज नहीं हो सकता था. उन्होंने कहा एक लम्बी अवधि से सरकार से ऐसी कोई राशि हमें प्राप्त नहीं हो रही है जिसका इस्तेमाल इस तरह के अज्ञात शवों के अंतिम संस्कार में किया जा सके. इस विलम्ब के लिए अगर कोई अधिकारी दोषी होगा तो उसपर जरूर कार्रवाई की जाएगी, ज़मीन की उपलब्धता की वजह से मोर्चरी को विकसित नहीं की जा पा रही है.