रायपुर। छत्तीसगढ़ की सियासत इन दिनों गठबंधन पर खूब जोर मार रही है. कांग्रेस ने जब से बसपा को साथ आने का न्यौता दिया है प्रदेश में चुनाव से पहले की साझा राजनीति की कवायद चल पड़ी है. कांग्रेस को लगता है कि बसपा का साथ मिले हाथ और मजबूत हो सकती है. लेकिन भाजपा को इस हम साथ साथ है वाली गठनबंधन की राजनीति पर मजे लेने का मौका जरूर मिल गया है.
छत्सीगढ़ में कांग्रेस 2018 में हर कीमत पर सरकार बनाना चाहती है. लिहाजा कांग्रेस ने बसपा से हाथ मिलाने को आतुर नजर आ रही है. लेकिन प्रदेश के नेता सीधे तौर पर बसपा से गठबंधन की बात ही कहते लेकिन दिल्ली के रास्ते दरवाजे खुले की बात जरूर कहते हैं. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का कहना है कि भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने में कांग्रेस मजबूत है, लेकिन बसपा अगर साथ आए तो कोई दिक्कत नहीं. पर वे कहते है कि इसका फैसला दिल्ली में होगा. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी इस पर निर्णय लेंगे.
कांग्रेस की तरह बसपा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश वाजपेयी भी गठबंधन के संदेश पर हामी तो भरते हैं, लेकिन कहते हैं कि फैसला मायावती करेंगी. इधर भाजपा गठबंधन की राजनीति पर खूब मजे ले रही है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और विधायक श्रीचंद सुंदरानी कहते हैं कि कांग्रेस के पास अब अकेले चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं रही. कांग्रेस को ये डर सता रही है कि कहीं जोगी के साथ बसपा का गठबंधन न हो जाए.
बहरहाल सबकी निगाहें दिल्ली पर टिकी है. क्योंकि चर्चा है कि कांग्रेस और बसपा के बड़े रणनीतिकारों के बीच गठबंधन पर सहमति कुछ दिनों में बन सकती है. लेकिन गठबंधन की ये राजनीति चुनाव में क्या कमाल करेगी इसके लिए अभी लंबा इतंजार है.