मनोज त्रिवेदी वैश्विक महामारी COVID-19 से पूरा विश्व थर्राया हुआ है, आर्थिक गतिविधियों में विराम सा लग चुका है.आर्थिक जानकर विश्लेषक इसे सदी की सबसे बड़ी मंदी की आमद मान चुके है जिस से कोई अछूता नही रहेगा, वहीं चीन इसे अपने लिए अवसर मान चुका है और वैश्विक व्यापार को नियंत्रण करने की जुगत में लग चुका है,लेकिन व्यापार के लिए बेहद आवश्यक साख और विश्वास अब चीन से छिटक गया है. अमेरिका, यूरोप, बड़े एशियाई देश भी चीन की इस रणनीति से बेहद नाराज़ और खिन्न हैं, अमेरिकी राष्ट्रपति ने कोरोना वाइरस को चीनी वाइरस तक कहा है, शेष विश्व भी इस महामारी के व्यापक असर को समय पर ना बताने के लिए आलोचना कर ही रहा है, चीन के साथ WHO की भूमिका पर भी प्रश्नचिन्ह है.ऐसे में भारत के लिए Covid-19 दबे पाँव अवसर भी ले कर आया है यदि ठीक से समझे तो कोरोना के अंधकार की किरणो के आगे उम्मीदों का सूरज हमारा इंतज़ार कर रहा है।टाइम्स आँफ इंडिया की एक हालिया ख़बर के अनुसार HDFC बैंक के चेयरमैन ने स्पष्ट किया कि कई जापानी कम्पनियाँ अपने प्रॉडक्शन को चीन से शिफ़्ट करने तैयार है, जापान की सरकार ने इसके लिए 2.2 बिलियन डॉलर का इन्सेंटिव भी ऑफ़र किया है, चीन से ये जापानी कम्पनियाँ भारत आ सकती है, यदि राज्य इन्हें 2000-5000 एकड़ ज़मीन स्पेशल इंडस्ट्री ज़ोन बना कर ऑफ़र करें, हालाँकि इन कम्पनियों को मलेशिया, थाईलैंड, वियतनाम का भी विकल्प है, लेकिन भारत के राज्यों को केंद्र के साथ मिलकर इस अवसर का फ़ायदा उठाना चाहिए.पिछले दस वर्षों में क़र्ज़ ना चुका पाने के कारण कई पॉवर, स्टील कम्पनियाँ NPA हो चुकी हैं, बहुत ने सैकड़ों एकड़ ज़मीन ख़रीद रखी थी, सरकार ने भी भूमि अधिग्रहण क़ानून से इन्हें ज़मीन दिलाने में मदद भी की थी, अब अवसर है इन लैंडबैंक को वापस री यूस के लिए तैयार रखने का । वर्ष 2019, अप्रैल 27 के economic टाइम्स के अंक में USISPF, (यू.एस.इंडो स्ट्रेटेजिक एंड पार्ट्नरशिप फ़ोरम) के अध्यक्ष मुकेश अघी ने PTI के हवाले से बताया था कि क़रीब 200 अमेरिकी कम्पनियाँ भी चीन से हट कर अन्य एशियाई देशों में सम्भावनाओ को तलाशना शुरू कर दिया है, उन्होंने ज़ोर दे कर कहा था की यदि भारत सरकार इन कम्पनियों को माकूल माहौल और शासकीय क्लीयरेंस का भरोसा दिला दे तो उनके सदस्य कम्पनियाँ भारत का रख कर सकती है, इस फ़ोरम की कम्पनियों ने 2015-19 के बीच क़रीब 50 बिलियन अमेरिकन डॉलर का निवेश किया है. पिछले दो दशक से भारत ने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों और अरब के देशों के बीच हेल्थ टुरिज़म में ख़ासी जगह बना ली है, COVID-19 के बाद यूरोपीय देशों में अपने स्वास्थ्य ढाँचे को लेकर ख़ासी नाराज़गी भी उभर आयी है, भारत के सस्ते इलाज से यूरोप को आकर्षित किया जा सकता है, सरकार को केन्सर,बाइपास सर्जरी, अंग प्रत्यारोपण, दंत चिकित्सा,प्लास्टिक सर्जरी के साथ आयुर्वेद, योग और ध्यान के लिए विशेष रणनीति बनाना चाहिए ताकि शेष विश्व को आकर्षित किया जा सके और मेडिकल टुरिज़म को बढ़ावा मिले, इससे होटल और एयरलाइन व्यवसाय को भी गति मिलेगी. केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गड़करी ने भी संकेत दिए है कि सड़क निर्माण के काम में अतिरिक्त तेज़ी लाकर, पलायन हुए मज़दूर को काम देकर, कम समय में ज़्यादा निर्माण कर आर्थिक गतिविधियों को तेज किया जा सकता है, इस से रोज़गार के अवसर बनेंगे और कोरोना के नैराश्य को आशा में बदला जा सकेगा. अनेक मौसम और ख़ास एम्मूयनिटी के लिए भारत भूमि और भारतीय जाने जाते है, लोहा पचाने का हुनर और अच्छा खाना और खिलाना भारतीयों के नस नस में है, जहां यूरोप और अमेरिका अपने खानपान के साइड इफ़ेक्ट को अब क़रीब से समझ गया है वहीं कोरोना के असर के बाद भारतीय खान पान डिमांड में आएगा भारतीयों के लिए पूरा विश्व बाँहें फैला सकता है कई स्टार्टप फ़ूड जोईंट, रेस्टौरेंट चैन, मसाले, फ़ूड कम्पनियों के लिए अवसर दरवाजा खोलेंगे, इसे समझ कर पकड़ना चाहिए होगा.वहीं भारतीय दवा निर्माता कम्पनियों के लिए पर्याप्त अवसर होंगे कि वे फ़ॉर्म्युलेशन को दवा के रूप में पूरे विश्व में एक्सपोर्ट कर सकें, चीन के एकाधिकार को सक्षम चुनौती भारत से मिल सकती है यदि केंद्र सरकार एक्सपोर्ट और फ़ॉर्म्युलेशन के लिए आसन नियम और शर्तें लागू कर सके, राज्यों की भागीदारी सुनिस्चित कर इस बड़े बाज़ार में भारत का परचम लहरा सकता है । छतीसगढ़ सरकार ने राज्य में कोरोना के विस्तार को अतिरिक्त सतर्कता के साथ थाम सा लिया है, अब ज़रूरत है इसके आफ़्टर शॉक को अवसर के झूलो में बदलने की, छतीसगढ़ इन वैश्विक शिफ़्ट में बड़ी भूमिका में लिए तैयार दिखता है,पॉवर जनरेशन, खनिज, लोहा, सीमेंट के साथ फ़ूड प्रॉसेसिंग, वनोपज, आयुर्वेदिक, हर्बल, क्षेत्रों में प्रदेश विश्व के कई निवेशकों को आकर्षित करने का दम रखता है, छतीसगढ़ की जनता ने तगड़े मेंडेट से मज़बूत सरकार बनायी है, और सरकार भी वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करने में मज़बूत पहल कर सकती है, यदि ऐसा होता है तो कोरोना के डर के आगे जीत निश्चित है । (ये लेखक के निजी विचार हैं) मनोज त्रिवेदी नवभारत के सीईओ और दैनिक भास्कर, नईदुनिया में जीएम रह चुके हैं।