जगदलपुर। बस्तर में 75 दिनों का ऐतिहासिक बस्तर दशहरा मनाया जा रहा है. पूरे विश्व में बस्तर दशहरा अपने अनोखे रीति-रिवाजों के कारण मशहूर है.

ऐसी ही एक रस्म मावली परघाव की भी होती है. इसमें दंतेवाड़ा से दंतेश्वरी माई की डोली और छत्र जगदलपुर पहुंचती है. ये रस्म कुछ दिनों पहले ही मनाई गई. इसके बाद माई जी की डोली और छत्र को आज जगदलपुर से विदा किया गया. दंतेश्वरी मंदिर के सामने विशेष मंच बनाकर विदाई से पहले मां दंतेश्वरी की विशेष पूजा-अर्चना की गई.

इसके बाद राजपरिवार के सदस्य ने परंपरा के मुताबिक देवी की विदाई की. मां की डोली पहले जिया डेरा पहुंची. इसके बाद यहां से दंतेवाड़ा के लिए रवाना हुई. दंतेश्वरी माई की डोली का स्वागत जगदलपुर से दंतेवाड़ा के बीच पड़ने वाले गांव के लोग करेंगे. इसके लिए गांववालों ने बड़ी तैयारी की है. तोकापाल, डिलमिली, बास्तानार और गीदम में माता जी का स्वागत किया जाएगा.