दिल्ली। थियेटर के क्षेत्र में देश की सर्वोच्च संस्थान राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय दिल्ली और अंतरराष्ट्रीय थियेटर ओलम्पिक्स संस्थान के संयुक्त आयोजन में भारत सरकार द्वारा अंतरराष्ट्रीय आयोजन 8वें थियेटर ओलम्पिक्स में बस्तरिहों के बैण्ड ने धूम मचा दी.  8वें थियेटर ओलम्पिक्स में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त छत्तीसगढ़ के बस्तर बैण्ड की प्रस्तुति राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में हुआ. बस्तर बैण्ड के द्वार देवपाड़ की प्रस्तुति दी गई.  सांगीतिक प्रस्तुति के केंद्र में देवपाड़ यानी देव संगीत के सहारे घटनाएं घटित होती हैं जहां सांगीतिक शैली में वाद्यों के सहारे  लोक समाज के आव्हान के साथ कथानक को विस्तार मिलता है जिसमे देव आगमन, देव स्थापना, देव के खेलते, आनंदित होते प्रस्थान की भूमिका सम्पन्न होती है.


प्रस्तुति में लोक एवं जनजातीय समाज में प्रचलित तथा 60 से अधिक बस्तर के दुर्लभ लोकवाद्यों की संगति प्रदर्शन को विशिष्ट बनाती है. प्रस्तुति में बस्तर अंचल के विभिन जाति, जनजातीय समुदाय के धरोहर कलाकारों अपनी प्रस्तुति दी. बस्तर बैंड का निर्देशन प्रख्यात रंगकर्मी अनूप रंजन पाण्डेय ने किया है. भाग लेने वाले कलाकार और उनकी भूमिका इस प्रकार हैं ,लक्ष्मी सोड़ी (पेण्डुल पाटा, तिरडूड, उसपाल),हूँगी ताती(पेण्डुल पाटा, तिरडूड,उसपाल),बुधराम सोड़ी(नेफ्ऱी,पेण्डुल ढोल, टेहनडोर,अकुम), सन्नू ताती(पेण्डुल ढोल), लक्ष्मण ओयामी(पेण्डुल ढोल,टेहन्डोर), श्रीनाथ नाग (देव मोहरी,डंडार ढोल), कमल सिंह बघेल(टूडरा,नंगरा,ठुड़का), सोमारू नाग (तुड़बुड़ी, नर पराय,हुलकि मांदरी), चेन्द्री धुरवा(धुरवा पाटा, कीरकिचा), फगनी धुरवा(धुरवा पाटा, कीरकिचा), आयतु नाग (बोपोर,वेरोटी,सारंगी), दसरू कोराम(चरहे पाटा, चरहे,हुलकि पाटा,गूटा पराय,नर पराय,हुलकि मांदरी), सकरु सलाम(गूटा पराय, हिरनांग,कोटोड़का, नर पराय, हुलकि पाटा, हुलकि मांदरी), नवेल कोराम ( आंगा, गूटा पराय,हुलकि पाटा, हुलकि मांदरी), आसमती सलाम(लिंगो पाटा, चिटकुली,डोमके पाटा), जयमती दुग्गा(लिंगो पाटा, चिटकुली,डोमके पाटा), रगबती बघेल (लक्ष्मी जगार,धनकुल), स्वाति मानिकपुरी(लक्ष्मी जगार,धनकुल), पनकु सोड़ी (कोटोड़का,हुलकि मांदरी,हुलकि पाटा ), मानकू सोड़ी(चरहे पाटा, हुलकि पाटा, नर पराय,हुलकि मांदरी), विक्रम यादव (बाँस,बीन,अलगोजा,टेकनी बाँसुरी), वेशभूषा,मंच सामग्री निर्माण अस्मिता पाण्डेय, अनन्या पाण्डेय, प्रकाश परिकल्पना प्रख्यात रंगकर्मी ,परिकल्पक अवतार साहनी दिया. बस्तर बैण्ड के दुर्लभ वाद्यों में पेण्डुल ढोल,तिरडूड,गूटा पराय, नर पराय, हुलकि मांदरी,डंडार ढोल,गोची बाजा,धनकुल,नंगरा,तुड़बुड़ी,देव मोहरी, मोहरी,चरहे,चिटकुली,मुयांग,हिरनांग,तातापूती, कासन ढोल,वेद्दूर,तोरम, नेफ्ऱी,अकुम,तोड़ी,सुलुड़,बोपोर,वेरोटी,गूगुनाड़ा,बाँस,बीन,टेकनी बाँसुरी,सिंघा, ठुड़का,टूडरा,कोटोड़का,ढुसिर,किकिड़,सारंगी,ढुङ्गरू,किंदरा,राम बाजा,डुमिर,पेन ढोल,कच तेहंडोर, पक टेहंडोर,झिंटी,ओझा पराय,सियाड़ी बाजा, तुपकी,कीरकिचा,घंट,जराड़ आदि है.