करण मिश्रा, ग्वालियर। देश के साथ प्रदेश की राजनीति में इन दोनों आरक्षण को लेकर सियासी घमासान छिड़ा हुआ है। इसी बीच कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट विवेक तंखा ने आरक्षण को लेकर एक नई बात बताई है, जो भाजपा के साथ ही उनकी ही पार्टी लाइन से बिल्कुल अलग है।
तन्खा का आरक्षण को लेकर कहना है कि यदि देश में सरकारे वंचित वर्ग के लिए रोजगार, अच्छी शिक्षा सहित अन्य अवसर उपलब्ध कराएं। पिछडे हुए समाज का संपूर्ण विकास करे तो आरक्षण की जरूरत ही नहीं होगी। वह स्वत: ही अर्थहीन हो जाएगा। शोषित या कमजोर वर्ग को लेकर जब सरकार की तरफ से यह सुविधाएं नहीं उपलब्ध कराई जाती हैं तो वह आरक्षण रूपी मदद को लेने के लिए आगे आते है। उन्होंने आरक्षण को तात्कालिक मदद बताया है।
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सरकारों को चाहिए कि वह समुचित विकास करें। जिस प्रकार महाराष्ट्र और पंजाब में हुआ है वैसे ही विकास को मध्यप्रदेश सहित राज्यों को भी करना होगा। मध्य प्रदेश में ओबीसी, सवर्ण वर्ग को आरक्षण देने के चलते 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण न देने की न्यायालय की रोक पर कहा है कि इसको लेकर लगातार बहस जारी है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट के कुछ जजमेंट में 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नही दिए जाने के द्रष्टांत है, लेकिन वहीं दूसरी ओर मद्रास हाईकोर्ट के ही जजमेंट के आधार पर तमिलनाडु में हुए आरक्षण में सुप्रीम कोर्ट ने ही 60 प्रतिशत से अधिक आरक्षण को स्वीकृति प्रदान की है। बहरहाल देश में एक विशेष वर्ग द्वारा आरक्षण को खत्म किये जाने की मांग लगातार उठाई जा रही है।
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