रायपुर। छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अमित जोगी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा है. अमित जोगी ने पत्र में रेप पीड़ितों से और किन्नरों के मामलों का पत्र में जिक्र किया है. उन्होंने रेप पीड़ितों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का हवाला देते हुए सरकार से इस दिशा में गंभीरता से कदम उठाने कहा है. इसके लिए उन्होंने खरसिया में एक युवती के साथ गैंगरेप के एक मामले का जिक्र किया है.

अमित जोगी ने पत्र में लिखा है

चुनाव प्रचार के शोरगुल में अक्सर सामाजिक न्याय से वंचित लोगों की आवाज़ दब जाती है. विगत एक हफ़्ते में मेरे संज्ञान में ऐसी दो घटनाए आयी हैं, इन्हें मैं आपके साथ साझा करना चाहता हूँ. पहली घटना खरसिया के गाँव गिद्धा की है. एक 20 वर्षीय बालिका का सामूहिक बलात्कार किया गया. उसके सर पर 40 किलो का पत्थर मारा गया. मस्तिष्क में आई चोट से वो बेहोश हो गयी. क़रीब डेढ़ घंटे बाद उसके परिजनों ने उसे मंदिर के समीप उसी अवस्था में पाया. फिर उसको खरसिया ले गए. खरसिया में उसका इलाज करना संभव नहीं था. दस हज़ार रुपया लेकर रायगढ़ के शासकीय अस्पताल में पहुँचे. वहां उनको बोला गया कि डॉक्टर न होने के कारण पीड़िता का इलाज नहीं हो सकता, उसको रायगढ़ के जिंदल समूह द्वारा संचालित अस्पताल भेजा गया. वहाँ उसका CT स्कैन हुआ लेकिन विशेषज्ञ न होने के कारण उसको वहाँ से रायपुर के एक निजी अस्पताल में रेफ़र कर दिया गया. इस दरमियान पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ़्तार किया, किन्तु घटना को देखते हुए यह स्पष्ट है कि उसे अंजाम किसी एक व्यक्ति ने नहीं, बल्कि व्यक्तियों के गिरोह ने दिया.

रायपुर में जब पीड़िता का इलाज चल रहा था तो बहुत दुख की बात है कि कोई भी शासन का प्रतिनिधि या मंत्री उसे देखने नहीं गया. उसका इलाज का ख़र्चा जिसमे अनेकों प्रकार के टेस्ट और दवाइयाँ इत्यादि सम्मिलित थे का वहन उसके परिजनों को ही करना पड़ा. शासन की तरफ़ से कोई सहयोग नहीं मिला और अंततः पीडिता की मृत्यु हो गई. माननीय सर्वोच्च न्यायालय में इस तरह के मामलों को संज्ञान में लेते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को पीड़िताओ को न्याय दिलाने और तत्कालिक उपचार हेतु अनेको प्रावधान बनाया है. बेहद दुख की बात है कि प्रदेश में लगातार महिलाओं के बढ़ते अपराध के बावजूद उन प्रावधानों और क़ानूनों का धरातल पर अमल नहीं किया जा रहा है. अगर घटना के समय पीड़िता को सही समय पर उपचार मिल जाता तो वह आज हमारे बीच होती और उसके दोषी सलाखों के पीछे. ऐसा नहीं हो पाया क्योंकि प्रदेश में न तो जिला स्तरीय और न ही राज्य स्तरीय समितियों का गठन किया गया है और अगर समितियों का गठन किया भी जाता तो आपात चिकित्सा सुविधा न होने के कारण उसका लाभ पीड़िताओं को नहीं मिलता है. मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि प्रदेश में महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ते अपराधों को ध्यान में रखते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायाल द्वारा तय किये गए मापदंडों, प्रावधानों और कानूनों को कड़ाई से प्रदेश में लागू किया जाये और इस प्रकरण में ख़ासकर शासन पीड़िता के सम्पूर्ण इलाज का ख़र्चा वहन करे और पीडिता को न्याय दिलाने के लिए एक विशेष पुलिस जाँच दल का गठन किया जाये.

वहीं किन्नरों के मामले का जिक्र करते हुए अमित जोगी ने लिखा, दूसरा विषय जो मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ वो किन्नर समाज से संबंधित है. किन्नर समाज को समानता से जीने का अधिकार मिले, इस हेतु राजधानी रायपुर में पहल की गई थी. किन्नरों का विवाह सामान्य घर के लड़कों के साथ किया गया जिसमें छत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात के भी लोग सम्मिलित हुए. उन्हें आशीर्वाद देने शासन के मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रदेश के अन्य नेता भी उपस्थित हुए. समाचार पत्रों से पता चला की जो उनसे कमिटमेंट किया गया था, आयोजको द्वारा उसे पूरा नहीं किया गया. मुझे विश्वास है कि इस कमी को दूर करने के लिए शासन यथोचित पहल करेगा. किन्नरों का आम लोगो के साथ विवाह और उस विवाह की समाज में स्वीकार्यता बेहद सराहनीय है. किन्तु आज हमारे देश में इस प्रकार के विवाह का कोई क़ानूनी वर्चस्व नहीं है. हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने फ़ैसले में इस प्रकार की शादी को क़ानूनी मान्यता देने के आदेश दिए है. लोकसभा में भी इस संबंध में निजी सदस्य द्वारा विधेयक लंबित है. इसे राज्यसभा ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया है. तमिलनाडु जैसे राज्यों ने किन्नर समुदाय के लोगों के लिए अलग से क़ानूनी प्रावधान बनाए हैं. हमारे छत्तीसगढ़ में भी ऐसे कानूनों की आवश्यकता है. मैं माँग करता हूँ कि वर्तमान विवाह क़ानूनो में आगामी विधानसभा सत्र में संशोधन विधेयक लाया जाए जिसमें विवाह की परिभाषा का विस्तार किया जावे. ये दोनों समाज सुधार से जुड़े बेहद ज़रूरी मुद्दे हैं और इसीलिए मैं आपका और आपकी सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट कर रहा हूँ.