निमिष तिवारी, बागबाहरा। महासमुंद जिले की बागबाहरा तहसील में एक दिलचस्प मामला सामने आया है. एक ही नाम के दो-दो गांव होने का खामियाजा वहां के किसानों को भुगतना पड़ रहा है. बागबाहरा तहसील के अंतर्गत खल्लारी राजस्व मंडल में पतेरापाली और बोईर नाम का गांव है. ठीक इसी तरह इसी तहसील के कोमाखान राजस्व मंडल में भी पतेरापाली (स) और बोईर नाम का गांव है. एक ही नाम के ये दो जोड़ी गांव होने की वजह से यहां रहने वाले किसानों के लिए मुसीबत का सबब बन गया है.
दरअसल ओलावृष्टि की वजह से कोमाखान राजस्व मंडल के ग्राम पतेरापाली(स) और बोरई के किसानों की फसल चौपट हो गई थी. वहीं खल्लारी राजस्व मंडल के पतेरापाली और बोरई गांव में भी कुछ किसानों की फसल को क्षति पहुंची थी. इन गावों में हुए नुकसान की फसल बीमा राजस्व विभाग को जारी किया जाना था. लेकिन राजस्व विभाग ने कोमाखान राजस्व मंडल के दोनों गांवों की बजाय खल्लारी राजस्व मंडल के गांवों के किसानों की फसल बीमा राशि जारी कर दी गई. लेकिन जब राजस्व विभाग को अपनी इस गलती की जानकारी हुई तो उन्होंने चारों गांव के किसानों की फसल बीमा की राशि रोक दी.
राजस्व विभाग की इस गलती का खामियाजा 500 किसानों को भुगतना पड़ रहा है. अधिकारियों की लापरवाही की वजह से यहां के किसान प्रभावित हो रहे हैं. प्रभावित किसानों ने स्थानीय अधिकारियों के सामने कई बार गुहार लगाई. लेकिन जब अधिकारियों ने उनकी बात को अनसुनी कर दी तो उन्होंने देवरी में आयोजित जिला जन समस्या निवारण शिविर में भी गुहार लगाई. लेकिन किसी के भी कानों में जूं नहीं रेंगी. किसानों के अनुसार उन्होंने मुख्यमंत्री को इस समस्या से अवगत कराया है.
उसके बावजूद उनकी समस्या का निवारण नहीं होने से थक हारकर आज कुछ किसानों ने अपने प्रतिनिधि मंडल के लोगों के साथ मिलकर तहसील कार्यालय के सामने धरने पर बैठ गए हैं. धरने पर बैठे किसानों ने भूख हड़ताल भी शुरू कर दी है और चेतावनी दी है कि यदि 10 सितंबर तक उनके खातों में फसल बीमा की राशि नही आती है तो वे आमरण अनशन पर बैठेंगे.
इन किसानों के अलावा जुनवानी कला के 70 किसानों की भी फसल ओलावृष्टि से खराब हुई है और उन्हें भी मुआवजा राशि नहीं मिली है. वे भी इन किसानों के समर्थन में उतर गए हैं. वहीं कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष अंकित बागबाहरा ने भी अपने साथियों के साथ किसानों को समर्थन देते हुए भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं.