रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार एक तरफ शराबबंदी को लेकर जागरूकता फैलाती है, कोचियाबंदी रोकने शराब का सरकारीकरण करती है, होटलों और ढाबों में छापे-मारे करती है. लेकिन दूसरी ओर सरकार ने बड़े होटलों में शराब की बिक्री के लिए समय भी बढ़ा दी है. अब सितारा होटलों में बार आधी रात 12 बजे तक खुले रहेंगे. लेकिन कांग्रेस और सामाजिक संगठनों ने इस फैसले का विरोध करते हुए सरकार की मंशा पर सवाल उठाएं हैं.

छत्तीसगढ़ सरकार बीते 1 साल से शराब खुद बेच रही है. इसके साथ ही सरकार कोचियाबंदी के सहारे शराबबंदी करने की बात कहते हुए कई तरह के विज्ञापनों और मुहिम के जरिए जन-जागरुकता भी चला रही. लेकिन इन सबके बीच में छत्तीसगढ़ सरकार एक और महत्वपूर्ण फैसला लेकर शराबबंदी की मांग को लेकर आंदोलन चलाने वालों को और मुद्दा दे दिया है. दरअसल सरकार ने सितारा होटलों में बार की समय अवधि बढ़ा दी है. अब बड़े होटलों में आधी रात 12 बजे तक बार खुले रहेंगे, लोग शराब पी सकेंगे. इससे पहले बार खुलने का समय रात 10 बजे तक ही था. सरकार के इस फैसले का कांग्रेस ने कड़ा विरोध किया है. महिला कांग्रेस की अध्यक्ष फूलोदेवी नेताम ने कहा, कि इससे युवाओं  में शराब की लत बढ़ेगी. प्रदेश में नशाखोरी चरम पर हो जाएगा. कांग्रेस शराबबंदी के पक्ष में है. सरकार के इस फैसले के खिलाफ सड़क पर उतकर प्रदर्शन किया जाएगा.

सरकारी आंकड़े के मुताबिक छत्तीसगढ़ में लोग रोज करीब 13 करोड़ 62 लाख स्र्पए की शराब लोग पी जा रहे हैं. शराब की इस खफत से सरकार को रोजाना करीब 10 करोड़ से अधिक की आय हो रही है.  शराब की सबसे ज्यादा बिक्री रायपुर जिले में होती है. रायपुर जिले में हर महीने करीब 48 करोड़ के हिसाब से बीते आठ महीने में लगभग 390 करोड़ स्र्पए की शराब बिकी है.

बिक्री के लिहाज से दूसरे नंबर पर दुर्ग और तीसरे नंबर पर आबकारी मंत्री का गृह जिला बिलासपुर है. मंत्री ने विधानसभा में जानकारी दी थी कि बताया कि बीते आठ महीने (अप्रैल से नवंबर) 32 अरब 69 करोड़ 30 लाख स्र्पए की शराब बेची गई.  इससे 24 अरब 27 करोड़ 13 लाख की आय सरकार को हुई है.

बीते 7 साल का आंकड़ा देखें  तो शराब की स्थिति छत्तीसगढ़ में इस खफत के मामले लगातार बढ़ते जा रही है.
साल 2010-11 में सरकार की शराब से आय 1004 करोड़ 32 लाख आमदनी थी, जो साल 2016-17 में बढ़कर 2671 करोड़ 72 लाख हो गयी है. वहीं साल 2011-12 में 1133 करोड़ 14 लाख रुपये की आय शराब से हुई. साल 2012-13 में बढ़कर 1511 करोड़ 25 लाख, साल 2013-14 में 1983 करोड़ 51 लाख, साल 2014-15 में 2393 करोड़ 53 लाख, साल 2015-16 में 2825 करोड़ 30 लाख हुई.

इस स्थिति में सरकार के इस फैसले का सामाजिक संगठन और शराब के खिलाफ आंदोलन चलाने वालों ने भी कड़ा विरोध किया है. ऐसे में अब सवाल ये उठ रहा है कि जब छत्तीसगढ़ वैसे भी शराब खफत के मामले में देश में अग्रणी राज्यों में फिर इस तरह के फैसले लेना कितना उचित है ? सितारा होटलों शराब बिक्री को लेकर दी गई समय की छूट से क्या खफत और ज्याद नहीं बढ़ेगी ? अगर ऐसा रहा तो फिर शराबंदी की दिशा में सरकार आगे कैसे बढ़ेगी ? जबकि सरकार दूसरे प्रदेश में शराबनीति का अवकलोन भी कराती है, और उसके आधार पूर्ण शराबबंदी का फैसला लेने की बात कहती है ? लेकिन फैसला अगर शराब की ऐसी नीति के तहत आएगी तो फिर इसका परिणाम होगा क्या ?