बाघों के संरक्षण को लेकर वन विभाग लापरवाह : मो. असलम

रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता मो. असलम ने कहा है कि छत्तीसगढ में बाघ सहित वन्यप्राणियों के शिकार की घटनाएं बढ़ रही है। बाघ एवं तेंदुए पर शिकारियों की पैनी नजर है। पिछले दिनों ही गरियाबंद जिले से बाघ के खाल सहित दो तस्करों को पकड़ा गया है। धमतरी वन मंडल, सीतानदी उदंती टाईगर रिजर्व एवं कांकेर वन मंडल क्षेत्र से ही 12 वर्षों में 15 से अधिक बाघों के खाल बरामद हो चुके है। पूरे प्रदेश एवं सीमावर्ती इलाकों में वन्य प्राणियों का कितना अधिक अवैध शिकार हो रहा होगा और तस्करी की जा रही होगी, इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। इसी तरह अचानकमार टाईगर रिजर्व तथा भोरमदेव अभ्यारण्य, जिसे टाईगर रिजर्व का दर्जा मिलने वाला है वहां भी शिकारियों ने बाघों एवं अन्य वन्यप्राणियों को अपने जाल में फंसाकर उनका शिकार किया है। यह भी देखने में आया है कि कई मर्तबा शिकारियों की गंभीर चोट के कारण जानवरो का शिकार कर शेर, तेंदुआ अपना पेट नहीं भर पाते जिससे उनकी भूख से मौत होने की आशंका बढ़ जाती है जिसका शिकारी लाभ उठाते हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता मो. असलम ने वन्य प्राणियों के अवैध शिकार एवं तस्करी के मामले को गंभीर बताया है और कहा है, कि वन विभाग की लापरवाही और कमजोर प्रशासनिक व्यवस्था, सरकार का ढुलमुल रवैया, स्टॉफ की कमी, फील्ड अफसरों के उम्र की अधिकता, नियमित गश्त का अभाव तथा वनों में बढ़ती लोगों की दखलअंदाजी वन्यप्राणियों की मौत और तस्करी का कारण बन रही है। यही वजह है कि बाघ लुप्त होने की कगार पर हैं वहीं दूसरी ओर वनों में चल रहे खनन कार्य, निर्माण कार्य एवं अवैध कब्जा भी वन्यप्राणियों के लिए बेचैनी का सबब बना हुआ है। फलस्वरूप राष्ट्रीय पार्कों-अभ्यारण्यों और मानव बस्तियों के बीच मनुष्यों पर हमले हो रहे है। जिससे इंसानों की भी मौते हो रही है। तेंदुआ, भालू हाथी और जंगली सुवर हमला कर लोगों की जान ले रहे हैं।

इंडियन स्टेट ऑफ फारेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक छग के कुल वन क्षेत्र में 53 वर्ग कि.मी. वन क्षेत्र की कमी आयी है वहीं वन क्षेत्र विरल भी हुए हैं। हरियाली प्रसार योजना, बिगड़े वनों का सुधार एवं वृक्षारोपण योजना के अंतर्गत लगाये गये करोड़ों पौधो से भी वन क्षेत्रों एवं राजस्व इलाकों में कोई उत्साहवर्धक सफलता नहीं मिली है और यह सभी योजना भ्रष्टाचार एवं कमीशनखोरी की भेंट चढ़ गई हैं। जंगल कम हो रहे और वन्यप्राणियों में बढ़ोत्तरी हो रही है, यह भी अवैध शिकार होने और तस्करी का मुख्य कारण है। बाघ एवं तेंदुए का अवैध शिकार न सिर्फ चिंता का विषय है अपितु बाघों के संरक्षण को लेकर ठोस कदम उठाये जाने की जरूरत है। सघन वन क्षेत्रों में, पार्कों में बाघ नजर नहीं आ रहा है जिससे पर्यटकों में भी मायूसी है लेकिन वन विभाग बाघों की मौजूदगी का दावा करने से नहीं चूक रहा है।