बिलासपुर। उच्च न्यायालय ने थाना प्रभारियों के खिलाफ जारी वसूली आदेश को निरस्त कर दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए एसपी द्वारा जारी आदेश को नियम विरुद्ध बताते हुए वसूल की गई रकम को तत्काल वापस करने का आदेश जारी किया है.  इंस्पेक्टर लक्ष्मी प्रसाद जायसवाल, मंजूलता राठौर, श्रुति सिंह और सब इंस्पेक्टर प्रमोद श्रीवास्तव, बिंदेराम मरकाम, लाभाराम ध्रुव, रामकिशन जो कि विभिन्न थानों में थाना प्रभारी के पद पर पदस्थ हैं. एसपी दुर्ग द्वारा 22 नवंबर और 20 दिसंबर को आदेश जारी कर इनके वेतन से वसूली शुरु कर दी गई थी.

एसपी के आदेश से नाराज सभी अधिकारियों ने हाईकोर्ट की शऱण ली. मामले में अधिकारियों के वकील अभिषेक पाण्डेय ने हाईकोर्ट के सामने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्टेट ऑफ पंजाब विरुद्ध रफीक मसीह के बाद में यह सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि तृतीय श्रेणी शासकीय कर्मचारियों से किसी भी प्रकार की वेतन की वसूली नहीं की जा सकती है.

याचिकाकर्ताओं को वर्ष 2006-2010 से वर्ष 2017 के बीच का वेतन नियतन त्रुटिपूर्ण होने के कारण उसका संशोधन कर थाना प्रभारियों के वेतन से वसूली आदेश जारी किया गया है जो कि 05 (पांच) वर्ष पूर्व का वेतन भुगतान होने के कारण पूर्णतः नियम विरुद्ध है एवं निरस्त किया जाने योग्य है.  उच्च न्यायालय द्वारा उक्त रिट याचिकाओं की सुनवाई के पश्चात् याचिकाकर्ता थाना प्रभारियों के विरुद्ध जारी वसूली आदेश को नियम विरुद्ध पाते हुए निरस्त कर पुलिस अधीक्षक (एस.पी.) दुर्ग को यह निर्देशित किया गया कि वे समस्त थाना प्रभारियों से वसूल की गयी रकम तत्काल वापस करें.