रायपुर। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि देश में नक्सली हिंसा से सबसे अधिक प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़ के साथ केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार भेदभाव कर रही है। प्रदेश कांग्रेस ने कहा है कि केंद्र और राज्य सरकारों का यह दावा भी झूठा साबित हुआ है कि छत्तीसगढ़ में नक्सली हिंसा ख़त्म हो रही है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने कहा है कि केंद्रीय गृहमंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट में जारी आंकड़ें इस बात का जीताजागता सबूत है कि केंद्र की मोदी सरकार में नक्सली हिंसा से निपटने के लिए स्पष्ट और सही नीति का अभाव है। इसी वजह से राज्यों को आवंटित होने वाली सहायता का नक्सली हिंसा और गतिविधियों की राज्य में स्थिति से कोई तालमेल नहीं है।

उन्होंने कहा है कि उत्तर प्रदेश में कोई भी ज़िला गहन नक्सली हिंसा से प्रभावित नहीं है और न ही पिछले चार वर्षों में वहां कोई गंभीर वारदात हुई है लेकिन वर्ष 2014 से 2018 के बीच उत्तर प्रदेश के नक्सली हिंसा से निपटने के लिए 349.21 करोड़ की राशि दी गई, जबकि इसी अवधि में छत्तीसगढ़ को सिर्फ़ 53.71 करोड़ की राशि दी गई। जबकि छत्तीसगढ़ देश का सर्वाधिक नक्सल प्रभावित प्रदेश है और कई ज़िले गहन नक्सली गतिविधियों के लिए जाने जाते है। छत्तीसगढ़ माओवादी हिंसा और सर्वाधिक माओवाद प्रभावित क्षेत्र के लिये पूरे देश में बदनाम है।

गृहमंत्रालय की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि मुख्यमंत्री रमन सिंह का यह दावा भी झूठा साबित हुआ है कि राज्य में नक्सली हिंसा कम हो रही है। वर्ष 2012 से 2017 तक के आंकड़े बताते है कि सबसे अधिक नक्सली हिंसा में मारे गए लोगों की संख्या पिछले छह सालों में सबसे अधिक 2017 में रही है। वर्ष 2012 में 109,  2013 में 111, 2014 में 112,  2015 में 101,  2016 में 107 और 2017 में 130 जानें गई हैं.  वर्ष 2017 में 2015 और 16 की तुलना में सर्वाधिक सुरक्षाकर्मियों की जानें भी गईं। 2015 और 16 में क्रमशः 48 और 38 जवान मारे गए थे लेकिन 2017 में 60 जवानों की मौतें हुईं। कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि जिस वर्ष छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक नक्सली हिंसा हुई उसी साल पुलिस बल के आधुनिकीकरण के लिए जहां उत्तर प्रदेश को 77.16 करोड़ दिए गए वहीं छत्तीसगढ़ को मात्र 11.87 करोड़ की राशि केंद्र से दी गई।

भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव ने कहा है कि यह सर्वविदित तथ्य है कि नक्सली हिंसा ख़त्म होने का दावा करने वाले रमन सिंह अपने गृह जिले कवर्धा तक को तो नक्सली हिंसा प्रभावित ज़िलों की सूची में शामिल होने से नहीं रोक सके है। इसी वर्ष केंद्रीय गृहमंत्रालय ने नए नक्सली ज़िले के रूप में कबीरधाम (कवर्धा) को जोड़ा है। सरकार को अपनी विफलता स्वीकार करनी चाहिए कि वे केंद्र में अपनी ही पार्टी के सरकार से नक्सली हिंसा से निपटने के लिए भी पर्याप्त धन नहीं ला पा रहे हैं और केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बार-बार छत्तीसगढ़ के दौरे जरूर करते है। माओवादियों से निपटने में राज्य सरकार के साथ सहयोग के बड़े-बड़े दावे भी करते हैं लेकिन राशि उत्तरप्रदेश को ज्यादा देते है। केंद्र की मोदी सरकार छत्तीसगढ़ के साथ भेदभाव कर रही है। सच यह है कि राज्य में नक्सली गतिविधियां भाजपा सरकार में लगातार 15 वर्षों से बढ़ी हैं और इस पर अंकुश लगाने की कोई मंशा रमन सिंह जी की भी नहीं दिखती है। मोदी सरकार की मंशा तो उत्तरप्रदेश और छत्तीसगढ़ को मिलने वाली केन्द्रीय सहायता के आंकड़ों से स्पष्ट हो गयी है।