चंडीगढ़. आज पंजाब अपना 59वां स्थापना दिवस मना रहा है। 1 नवंबर 1966 को पंजाब को भाषा के आधार पर अलग राज्य का दर्जा मिला था, जब पंजाबी भाषा बोलने वाले बहुसंख्यक जिलों को मिलाकर नया पंजाब गठित किया गया। इसी दिन हिमाचल प्रदेश और हरियाणा को पंजाब से अलग कर नए राज्यों का निर्माण हुआ।
पंजाब की इस अलग पहचान के लिए लंबे संघर्ष और आंदोलन हुए। स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों के रूप में योगदान देने वाले पंजाबी हमेशा अपने हक के लिए डटकर खड़े रहे। खेती और किसान आंदोलनों में भी पंजाब की अग्रणी भूमिका रहीं।

ये हैं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- 10 मार्च 1966: तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने पंजाब को पंजाबी भाषा वाला सूबा बनाने का प्रस्ताव पारित किया।
- सितंबर 1966: पंजाब राज्य पुनर्गठन बिल संसद में पास हुआ।
- 1 नवंबर 1966: बिल लागू होते ही नया पंजाब अस्तित्व में आया। नए राज्य में सिख आबादी 56 प्रतिशत थी और मुख्य भाषा पंजाबी (गुरमुखी लिपि) निर्धारित की गई।
- सीमा निर्धारण: पंजाब-हरियाणा सीमाओं के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई, जिसने पंजाब बाउंड्री कमीशन का गठन किया।
- साझी राजधानी: पंजाब और हरियाणा की साझी राजधानी चंडीगढ़ तय की गई, जो केंद्र शासित क्षेत्र के रूप में रहेंगी।
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