रायपुर- चुनाव प्रचार अभियान के दौरान कवर्धा की एक सभा में डाॅक्टर रमन सिंह ने लोगों से अपील की थी कि कांग्रेस प्रत्याशी मो.अकबर को निर्ममता से चुनाव हराओ. ऐसी हार का स्वाद चखाओ की वापस रायपुर चला जाए और लौटकर कभी वापस न आए. रमन ने यह भी कहा था कि कवर्धा की इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी अशोक साहू नहीं बल्कि मैं खुद चुनाव लड़ रहा हूं….

डाॅक्टर रमन सिंह के इस भाषण का ही शायद असर हुआ कि मो.अकबर ने अपना सब कुछ दांव पर लगाकर चुनावी बिसात ऐसी बिछाई की बीजेपी के चारों खाने चित्त हो गए और जिस कवर्धा की पहचान डाॅक्टर रमन सिंह के नाम से देश में होती रही, उस पहचान को भी अकबर ने बदल दिया. उन्होंने छत्तीसगढ़ की सभी 90 सीटों में से सर्वाधिक 59 हजार 284 मतों के साथ रिकार्ड जीत दर्ज की. राज्य गठन के बाद से हुए अब तक के तमाम चुनावों में इतनी लीड से अब तक किसी उम्मीदवार ने जीत दर्ज नहीं की है.

कवर्धा डाॅक्टर रमन सिंह की राजनीति का केंद्र बिंदु रहा है. रमन की राजनीति कवर्धा से शुरू हुई. कवर्धा उनका गृहनगर भी है. ऐसे में बीजेपी के इस अभेद किले को ढहाने का बड़ा काम मो.अकबर ने किया है. बीते विधानसभा चुनाव में भी कवर्धा से बतौर कांग्रेस प्रत्याशी मो.अकबर ने बीजेपी को चुनौती दी थी, लेकिन महज 2500 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन इस हार ने कवर्धा की मजबूत दीवारों में दरख्त डालने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. दीवारें अब ढही जब मो.अकबर ने विशाल अंतर से बीजेपी के प्रत्याशी अशोक साहू को हराया. छत्तीसगढ़ की हाईप्रोफाइल सीटों में कवर्धा भी एक सीट मानी जाती है. वजह रमन तो हैं ही, दूसरी बड़ी वजह रही कि रमन सिंह के सांसद बेटे अभिषेक सिंह ने राजनांदगांव की छह सीटों के साथ-साथ कवर्धा जिले की दोनों सीटों को जीताने की जिम्मेदारी ले रखी थी, लेकिन तमाम दांव पेंच के बाद भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा.

पांच राज्यों के चुनावी मुकाबले में सर्वाधिक मतों से जीते अकबर

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना में हुए विधानसभा चुनाव में मो.अकबर ने सर्वाधिक लीड के साथ चुनाव में जीत हासिल की है.  मो.अकबर की यह जीत इस लिहाज से भी बेहद अहम मानी जा रही है क्योंकि जिस कवर्धा सीट से उन्होंने बड़े अंतर से चुनाव जीता है, वहां हिन्दुत्व का बोलबाला रहा है. चुनाव के दौरान भी यूपी के सीएम और बीजेपी के फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ की सभा कराने के पीछे भी बीजेपी की यही रणनीति थी कि हिन्दुत्व के मुद्दे को भुनाया जा सके, लेकिन अकबर की बिछाई बिसात ने बीजेपी की तमाम रणनीति ध्वस्त कर दी. दरअसल मो.अकबर ने अपनी छवि धर्मनिरपेक्ष नेता के रूप में गढ़ने में जमकर काम किया है. बीते पांच सालों तक कवर्धा विधानसभा क्षेत्र के एक-एक गांव में घूम-घूमकर लोगों का भरोसा जीतने का काम किया है. यही वजह है कि जब नतीजे सामने आए, तो तमाम समीकरणों के परे मो.अकबर ने बड़ी जीत दर्ज की.