रायपुर। राजधानी का पुलिस महकमा इन दिनों लगातार किसी न किसी वजह से सुर्खियों में बना हुआ है. कभी बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर चर्चा में रहता है लेकिन कानून व्यवस्था से ज्यादा चर्चा इन दिनों पुलिस अधिकारियों के बीच बयानों पर नजर आते मतभेद को लेकर है. वजह बना है डॉ पुनीत गुप्ता प्रकरण. इस मामले में विभाग के दो बड़े अधिकारियों के अलग-अलग बयान सामने आया है.  एक अधिकारी जहां गुप्ता को दो से तीन दिन की मोहलत दिये जाने की बात कह रहे हैं तो वहीं दूसरे अधिकारी मोहलत दिये जाने से साफ इंकार कर रहे हैं.

दरअसल डॉ पुनीत गुप्ता को डीकेएस घोटाला मामले में शिकायत के बाद पूछताछ के लिए पुलिस द्वारा नोटिस भेजा गया था. गुप्ता को पुलिस ने आज तलब किया था लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए. तबियत खराब होने की हवाला देते हुए गुप्ता की बजाय उनके वकील पुलिस के पास पहुंचे और पुलिस से 20 दिन की मोहलत मांगी. सीएसपी कोतवाली नसर सिद्दकी ने इसकी पुष्टि की थी और बताया था कि 20 दिन की मोहलत का आवेदन वकील द्वारा दिया गया था जिसे खारिज कर 2 से 3 दिन का समय उन्हें उपस्थित होने के लिए दिया गया है. अगर वे तीन दिन में बयान दर्ज कराने उपस्थित नहीं होंगे तो उनके खिलाफ सर्कुलर जारी किया जाएगा.

वहीं इस मामले में एसएसपी आरिफ शेख का बयान सीएसपी नसर सिद्दिकी के बयान से जरा जुदा है. एसएसपी का कहना है कि आवेदन को निरस्त कर दिया गया है और पुनीत गुप्ता को कोई भी मोहलत नहीं दी गई है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि राजधानी के दो अधिकारियों के बीच इस मामले में मतभेद क्यों है और इसकी वजह क्या है?

आपको बता दें डीकेएस अस्पताल के वर्तमान अधीक्षक ने डॉ पुनीत गुप्ता के खिलाफ गोलबाजार थाना में पिछले दिनों शिकायत की थी. अस्पताल के पूर्व अधीक्षक पुनीत गुप्ता पर 50 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है.