- अजीत जोगी ने कहा- अर्धसैनिक बलों की बस्तर में तैनाती मौत के मुंह में धकेलने जैसी
- माओवादियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक सफल नहीं होगा
रायपुर- बस्तर में माओवादियों के खिलाफ आक्रामक रणनीति तैयार करने में जुटी फोर्स की कवायद के बीच छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का कहना है कि फोर्स के बूते माओवादियों के खिलाफ लड़ाई नहीं जीती जा सकती। जोगी कहते हैं कि सीआरपीएफ हो, बीएसएफ हो या फिर दूसरे अर्धसैनिक बल बस्तर में इनकी तैनाती मौत के मुंह में धकेलने की तरह है।
जोगी इसके पीछे दलील दे रहे हैं कि इन अर्धसैनिक बलों को ना तो बस्तर की स्थानीय बोली आती हैं और ना ही इन्हें भौगोलिक स्थिति की बेहतर जानकारी है।
सुकमा के बुर्कापाल नक्सल हमले के बाद इस बात की जमकर चर्चा हो रही है कि केंद्र औऱ राज्य सरकार माओवाद के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में बदलाव करने जा रही है। नए सिरे से रणनीति तैयार की जा रही है।
चर्चा ये भी है कि माओादियों के खिलाफ सुरक्षा बल सर्जिकल स्ट्राइक कर सकते हैं। आने वाले दिनों में सुरक्षा बलों का बड़ा आपरेशन बस्तर के जंगलों में नजर आएगा। चर्चाओं में ये भी कहा जा रहा है कि एय़रफोर्स के हेलीकाप्टर के जरिए जवानों को माओवादी गढ़ में उताकर आपरेशन चलाया जाएगा।
इन तमाम कवायद के बीच पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में माओवादियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक सफल नही होगा। उनका कहना है कि ये गुरिल्ला वार है और सर्जिकल स्ट्राइक में एक-दो लोग को ही मारा जा सकता है। जोगी का कहना है कि किसी बड़े नक्सल आपरेशन के बाद माओवादी ग्रामीणों के बीच जाकर मिल जाते हैं। ऐसे में सर्जिकल स्ट्राइक माओवाद को खत्म करने का विकल्प नहीं हो सकता।
अजीत जोगी का कहना हैं कि- मेरा बस चले तो बस्तर से 50 हजार जवानों को हटाकर सिर्फ 10 हजार लोगों को ही रखूंगा और इससे बेहतर नतीजे दूंगा। माओवादियों के खिलाफ लड़ाई में स्थानीय स्तर पर लोगों को शामिल कर हालात बदला जा सकता है, लिहाजा फोर्स में स्थानीय स्तर के लोगों की भर्ती कर माओवाद के खिलाफ बड़ी लड़ाई जीती जा सकती है।