रायपुर। भाजपा सांसद रमेश बैस के एक बयान ने सियासत में खलबली मचा दी है. बैस ने छत्तीसगढ़ को लेकर जो बातें कही है उससे उनके अपने ही अब निशाने पर आ गए हैं. वैसे भी बैस भाजपा के बेहद मुखर नेता माने जाते हैं. लेकिन बीते 5 सालों में मीडिया में बोलते वक्त आक्रमक दिखाई नहीं दिए हैं. लेकिन सामाजिक मंचों पर बैस की आक्रमता पहले भी देखी गई और इस बार भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला. एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुछ ऐसा बोल गए हैं जिससे वरिष्ठ नेता होने के नाते उनकी अपनी उपेक्षा भी दिखी तो बतौर सांसद होने के नाते उनकी अपनी भूमिका और छत्तीसगढ़ का दर्द भी.

दरअसल अपने संसदीय क्षेत्र खरोरा के एक कार्यक्रम में रमेश बैस बतौर मुख्य अतिथि के तौर पर सामाजिक संस्था की ओर आयोजित सम्मान समारोह में शामिल थे. इस कार्यक्रम में किसान कांग्रेसम के अध्यक्ष चंद्रशेखर शुक्ला भी मौजूद थे. चंद्रशेखर शुक्ला कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे. कार्यक्रम में पूर्व आईएएस अधिकारी गणेश शंकर मिश्रा भी विशेष रूप से मौजूद थे.

खैर खबर कार्यक्रम का होना नहीं है. खबर तो भाजपा सांसद की ओर से कही गई बातें है. बैस ने कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम छत्तीसगढ़ के माटी पुत्रों के सम्मान पर आयोजित था. लिहाजा बैस ने छत्तीसगढ़ियों के शोषण को लेकर अपनी बातें शुरू की. उन्होंने छत्तीसगढ़ियों के दर्द को बयां किया. इसमें शायद उनका अपना खुद का दर्द भी शामिल था. क्योंकि बैस भाजपा के वरिष्ठ नेता और 6 बार से लगातार सांसद है. बैस ने कहा कि “कब तक द्रौपदी का चीरहरण होता रहेगा और कब तक हम भीष्म पितामह की तरह चुप बैठे रहेंगे.”
हालांकि लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में बैस ने इसे लेकर स्पष्ट शब्दों में दोबारा फिर ऐसा तो नहीं कहा, लेकिन उन्होंने ये जरूर स्वीकार किया कि द्रौपदी के चीरहरण की बात उन्होंने जरूर कही. जिसमें उनका ये कहना था कि “कहीं कुछ गलत हो रहा तो सब देखकर चुप रह जाते हैं. जैसे महाभारत में द्रौपदी को जुए में हारने के बाद पांडवों चुप होकर सब देखते और सहते रहे. लेकिन इस दौरान उन्होंने एक अहम बात भी कही कि बीते 5 सालों में उसने कुछ नहीं कहा तो एक दिन बोलकर वे अपना मुहँ क्यों खराब करे. सब तो एक ही नाव में सवार हैं.”

राजनीतिक लिहाजा बैस के इन बयानों के कई मायने निकलते हैं. जिसमें प्रदेश भाजपा के कोर कमेटी से बाहर होने का दर्द भी दिखता, तो 6 बार सांसद होने के बाद भी केन्द्रीय मंत्री नहीं बनाएं जाने का भी. चुंकि बैस माटी पुत्र छत्तीसगढ़िया लिहाजा वे अपने साथ-साथ प्रदेश की स्थिति को भली भांति देख भी रहे हैं और समझ भी रहे हैं. ऐसे में अब इंतजार उस लम्हें का भी करना होगा जिसमें बैस के इन बयानों का कहीं कोई असर भी दिखेगा.