रायपुर- सुकमा के बुर्कापाल में हुए नक्सल हमले के बाद अर्धसैनिक बलों के जवान बेहद गुस्से में है। इसकी बानगी उस वायरल वीडियो के जरिए देखने को मिली, जिसमें एक जवान ने रोते हुए कहा था कि खून का बदला खून से लेना है। सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो की हकीकत सामने आई है। अब उसी जवान ने एक नया पोस्ट वायरल किया है। सात मिनट के इस आडियो क्लिप में नक्सलियों से अपील की गई है कि देश की संपत्तियों और सुरक्षा बलों को निशाना ना बनायें। हम सब आपस में भाई-भाई हैं।
वायरल वीडियो में नजर आ रहा शख्स आईटीबीपी का इंस्पेक्टर प्रमोद कुमार तिवारी है। प्रमोद नारायणपुर के कुरूसनार में पदस्थ है। पहले जवानों के दर्द को प्रमोद ने रोते हुए वीडियो के जरिए वायरल किया था और अब उन्होंने सात मिनट के आडियो क्लिप में नक्सलियों से भावनात्मक अपील की है।
आडियो सुनने के लिए यहां क्लिक करें-
प्रमोद तिवारी ने सोशल मीडिया के जरिए जारी अपने संदेश में कहा है कि- मैं छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में नक्सल अभियान के लिए तैनात हूं। प्रमोद ने नक्सलियों से अपील करते हुए कहा कि नक्सलवाद के लिए समर्पित नेतागण, कमांडर गण, हर प्रकार से समर्थन देने वाले लोगों का मैं दोनों हाथ जोड़कर निवेदन करता हूं कि हमारे प्यारे देश के नक्शे पर जो रेड कारीडोर को चिन्हांकित किया जा रहा है, उसे मानचित्र से हटा दे। जो भी इतिहास रहा है, उसे भूलने और भूलाने में सहयोग करे, जिससे अब देश में ऐसी कोई घटना घटित ना हो। हिन्दुस्तान में इसके लिए कोई जगह नहीं है।
अपने अपील में आईटीबीपी के इंस्पेक्टर प्रमोद तिवारी ने कहा कि हम सब आपस में भाई-भाई ही तो हैं। आप को कसम खाना होगा कभी भी देश की संपत्ति या सुरक्षा बलों को निशाना नहीं बनाएंगे। भारत मां आज रोती होंगी कि भाई-भाई को मार रहा है। उन्होंने कहा कि गलत दिशा में लगी शक्तियों कोे देश के लिए एकजुट करें। देश की आवाम, सुरक्षाबल, सरकार आपको मारना नहीं चाहती। सरकार यदि आपको मारकर खत्म करना चाहती, तो कब का कर सकती थी। कुछ चंद लोग निजी स्वार्थ के लिए आपको फंसाते हैं। आप सुरक्षा बल को मारते हैं, तभी सुरक्षा बल आपको निशाना बनाती हैं।
इससे पहले कल जब प्रमोद तिवारी का वीडिया वायरल हुआ था, तब उन्होंने कहा था कि जवानों को करोड़ों रूपए नहीं चाहिए। फेसबुक-ट्विटर, व्हाट्स एप पर श्रद्धांजलि भी नहीं चाहिए। जब जवान शहीद होते हैं, तब ना तो समाज सामने आता है औऱ ना ही परिजनों को पूछने कोई नेता आगे आते हैं। मां अपने कलेजे को टुकड़े को युद्ध पर भेजती है। जवान सालों तक अपने घर परिवार की शक्ल तक नहीं देख पाता, फिर भी नक्सलियों-आतंकियों से लड़ता है। इसलिए मैं अपने भाईय़ों से गुजारिश करता हूं कि खून का बदला खून से लेना है। ये लडा़ई समाज ही नहीं है, सरकार की नहीं है यदि होती तो ये अब तक खत्म हो जाती।