- सीएम डॉ रमन सिंह ने कहा- नक्सलवाद की अंतिम लड़ाई छत्तीसगढ़ में होगी
- हमारी ऑईडियोलॉजी नक्सलियों से गले मिलने की नही
रायपुर- मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा है कि नक्सलवाद के खिलाफ अंतिम लड़ाई छत्तीसगढ़ में ही लड़ना है। हम तब तक चैन से नही बैठेंगे जब तक पूरी तरह से शांति ना ले आये। नक्सलियों के खिलाफ संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक लोकतंत्र पूरी तरह से स्थापित ना हो जाये। विकास के रास्ते हम बस्तर में लोकतंत्र स्थापित करेंगे।
डॉ रमन सिंह ने कहा – सदन में कोई शख्स ऐसा नही होगा जो ये नही चाहेगा कि नक्सलवाद हमेशा के लिए चला जाये। उन्होंने कहा- दो दिन पहले माओवादियों की ओर से प्रवक्ता विकल्प ने ऑडियो जारी किया। ऑडियो में कहा गया- ये सरकार पुल-पुलिया, सड़क बना रही है। प्रवक्ता की ये बातें बताती है कि माओवादी विकास विरोधी हैं।
प्रवीरचंद भंजदेव की हत्या ने पनपाया छत्तीसगढ़ में माओवाद
मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद आज से नही है। आंध्रप्रदेश में 1948 में ढाई हजार संगठित लोगों ने हिंसक आन्दोलन किया था।छत्तीसगढ़ में शुरुआत कहां से हुई? यहां की जनता का विश्वास कहाँ खंडित हुआ? बस्तर के सीधे साढ़े सहज लोग आखिर कैसे नक्सलवाद की जद में आ गए? दरअसल इसकी शुरुआत बस्तर कर राजा प्रवीरचंद भंजदेव की सरकारी हत्या से शुरू हुई। उस समय मध्यप्रदेश में डीपी मिश्रा की सरकार थी। भंजदेव की हत्या किए जाने के बाद वारंगल से लोग निकलकर धीरे धीरे छत्तीसगढ़ में बढ़ते गए। इसकी शुरुआत वहां से हुई।
डॉ रमन सिंह ने कहा कि नक्सलियों के लिए कांग्रेस के मित्र कहते हैं कि ये बिगड़े हुए बच्चे है।उन्हें गले लगा लो। ये उनकी आइडियोलोजी है। ये हमारी नही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं सबसे खतनाक सड़कों पर जाकर यात्रा करता हूँ, इसलिए नही की कुछ दिखाऊँ, सिर्फ इसलिए कि जवानों का हौसलाफजाई हो।
मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा कि 14 सालों में हमने कभी कॉम्प्रोमाइज नही किया है और जब तक सरकार में हैं बेहतर से बेहतर काम करेंगे।
डॉ रमन सिंह ने नक्सलियों के खिलाफ सरकार की नीति का जिक्र करते हुए कहा कि जगरगुंडा नक्सलियों का मुख्यालय है। हम तीन रास्तों से जगरगुंडा को जोड रहे हैं। इन तीन तरफ से सड़क बन गई, तो सुरक्षा बलों के जवानों को जाने में सहूलियत होगी। बस्तर क्षेत्रफल की दृष्टि केरल से बड़ा है। पुलिस बल सिर्फ पुलिसिंग के लिए ही थी। सरकार ने नीतिगत फैसला लेते हुए 45 हजार जवानों की भर्ती की। जंगलवार की ट्रेनिंग दी। अब बस्तर बटालियन का भी गठन कर रहे हैं।
कई रातें सो नही पाता- डॉ रमन सिंह
मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि मैं भी कई रातें सो नहीं पाता, लेकिन मैं दावे से कहता हूं कि इस लड़ाई को हम ही जीतेंगे। उन्होंने कहा कि झीरम का रील कभी मेरी यादों में खत्म नही होता। एक-एक घटनाओं का हिसाब होगा।
सीएम ने महेंद्र कर्मा को याद करते हुए कहा कि – महेंद्र कर्मा से बेहतर मित्र और कौन होगा? उनसे बड़ा शेर बस्तर में पैदा नहीं हुआ। हम उनकी शहादत को कैसे भूल सकते। हमारी आंखों के सामने भी सब कौंधता है। सीएम ने कहा कि नक्सलवाद रोशनी से डरते है। सड़क, पुल-पुलियों के बनने से डरते है, वो अंधेरा चाहते है, लेकिन हम रोशनी पहुंचाएंगे। नक्सली डरता है कि हम बस्तर तक रेलवे कनेक्टिविटी बिछा देंगे। आने वाले दिनों में मेडिकल कॉलेज से बच्चे निकलने लगेंगे। सीएम ने कहा- दोबारा मुझे पढ़ने का मौका मिले तो मैं कहूंगा कि दंतेवाड़ा के एजुकेशन हब में मेरा एडमिशन करा देना
ग्रामीण की आड़ में माओवादी करते है हमला, हमारे जवान देखते है एक निर्दोष वनवासी ना मरे
डॉ रमन सिंह ने कहा कि – जंगल में बैठकर तेंदूपत्ता बिनने वाला अचानक उठकर फायरिंग शुरू कर देता है। वो ग्रामीण की आड़ में नक्सली होता है। लेकिन सुरक्षा बलों के जवान पहले से फायरिंग नही कर सकते। नक्सलियों की आड़ में एक भी वनवासी ग्रामीण ना मरे इस बात का ख्याल रखते है। सीएम ने कहा – हम नक्सलियों को सेग्रिगेट करके मारेंगे। हम बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ अभियान लगातार जारी रखेंगे। राष्ट्रविरोधी ताकतों के इरादों को नाकाम करेंगे।
सरकार नहीं चाहती नक्सलवाद खत्म हो- भूपेश बघेल
इससे पहले बुर्कापाल नक्सल हमले पर हुई चर्चा के दौरान के पीसीसी चीफ भूपेश बघेल कई सवाल खड़े किया। उन्होंने कहा-नक्सलवाद देश के दूसरे राज्यों में भी है, फिर सबसे ज्यादा अटैक छत्तीसगढ़ में ही क्यों होता है।
नक्सली के नाम पर भोले भाले आदिवासियों को गिरफ्तार कर मारा जा रहा है। सरकार कहती है कि सैकड़ों नक्सलियों ने सरेंडर किया है तो फिर घटनाएं क्यों हो रही है?
भूपेश ने आरोप लगाया कि सरकार खुद नही चाहती कि नक्सलवाद समाप्त हो। उन्होंने पूछा कि 21 फरवरी 2011 को विधानसभा में नक्सलियों को चंदा देने से जुड़ा सवाल उठाया था। गृहमंत्री ने अपने जवाब में चंदा देने की बात स्वीकारी थी। उस अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई जिसने नक्सलियों को चंदा दिया।
एस्सार कंपनी द्वारा नक्सलियों को पैसा देने का मामला सामने आया था। पैसा पहुंचाने वाले आदिवासी को गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन एस्सार कंपनी पर क्या कार्रवाई की गई? धर्मेन्द्र चोपड़ा और नीरज चोपड़ा बीजेपी सांसद की गाड़ी में ही नक्सलियों का पैसा ले जाते पकड़े गए थे? बिनायक सेन को जमानत ना मिले इसे लेकर सरकार सुप्रीम कोर्ट जाती है लेकिन धर्मेन्द्र चोपड़ा और नीरज चोपड़ा को हाईकोर्ट से जमानत मिलने का विरोध सुप्रीम कोर्ट में दर्ज नही कराती। जो नक्सलियों को सहयोग करते हैं। पैसा पहुंचाने वाले जिन उद्योगपतियों के नाम आता है उन पर कोई कार्रवाई नही होती। काँग्रेस नेताओं पर हुए हमले को लेकर इसी सदन में सीबीआई जांच की घोषणा की जाती है लेकिन कुछ नही होता।
सरकार की नीयत ही नही है। नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई लड़ने की। यही साबित करता है कि सरकार और नक्सलियों के बीच साठगांठ है। उन्होंने कहा कि पेद्दागुलूर- चेन्नगुलूर में हमारे विधायक खुद गए थे। बस्तर के विधायक खुद गए थे। सवाल यही है कि पुलिस खुद अपराध करे तो मामला गंभीर हो जाता है। इसी तंत्र के सहारे ही बस्तर के लोगों का विश्वास जीत सकते हैं। और यदि तंत्र जब प्रताड़ित कर तो गांव वाले कहा जाएंगे।
भूपेश ने कहा- सत्तापक्ष के लोग उद्योगपतियों के साथ मिलकर नक्सलवाद बढ़ाना चाहते हैं। सैकड़ों करोड़ रुपये बस्तर में खर्च किया गया, लेकिन विकास नही दिखता।