जगदलपुर। लल्लूराम डॉट कॉम की खबर का असर हुआ है. जगदलपुर के पैदावाड़ा गांव की जिस आदिवासी छात्रा गायत्री कश्यप को राजनांदगांव के देवड़ा सेंट्रल इंडिया कॉलेज ऑफ नर्सिंग प्रबंधन ने फीस नहीं देने पर निकाल दिया था. अब उसका दोबारा एडमिशन कराने की तैयारी प्रशासन कर रहा है.

हमने जब जगदलपुर के एसपी शेख आरिफ से बात की, तो उन्होंने कहा कि छात्रा को एजुकेशन लोन दिलाने की प्रक्रिया चल रही है और उसका जल्द ही एडमिशन करा दिया जाएगा. उन्होंने बाकी छात्राओं के लिए भी कहा कि उन्हें भी एजुकेशन लोन दिलाया जा रहा है और फीस के कारण इन सबकी पढ़ाई नहीं रुकेगी.

क्या है मामला?

बता दें कि राजनांदगांव के देवड़ा सेंट्रल इंडिया कॉलेज ऑफ नर्सिंग में पढ़ रहीं जगदलपुर की 6 छात्राओं के भविष्य पर तब संकट गहरा गया, जब कॉलेज प्रबंधन ने उन्हें फीस जमा नहीं करने पर परीक्षा फॉर्म भरने से मना कर दिया. साथ ही फीस नहीं देने पर आदिवासी छात्रा गायत्री कश्यप को कॉलेज से निकाल भी दिया. ये छात्राएं दरभा ब्लॉक के पैदावाड़ा गांव की हैं.

 

दरअसल नक्सल प्रभावित इलाके के छात्र-छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा देने को कहा गया था. जगदलपुर के पैदावाड़ा गांव में CRPF द्वारा आयोजित सिविक एक्शन प्रोग्राम के तहत इसी गांव की 6 युवतियों को राजनांदगांव के देवड़ा सेंट्रल इंडिया कॉलेज ऑफ नर्सिंग में एडमिशन दिया गया था. तत्कालीन कलेक्टर अमित कटारिया ने इन्हें आश्वासन दिया था कि उनकी पढ़ाई निःशुल्क कराई जाएगी. युवतियों को 25 हजार रुपए का चेक देकर एक साल पहले उनका दाखिला भी कराया गया. लेकिन अब उन्हें बाकी फीस जमा करने को कहा जा रहा है. छात्राओं को कहा गया है कि फीस के बिना वे परीक्षा फॉर्म नहीं भर सकतीं.

सालभर कॉलेज में पढ़ाई कर चुकी छात्राएं फीस के लिए परेशान हैं. इसे लेकर आदिवासी छात्रा गायत्री कश्यप ने जगदलपुर के एसपी को आवेदन दिया और मामला सुलझाने के लिए कहा.

छात्रा गायत्री कश्यप ने बताया कि कॉलेज प्रबंधन ने फर्स्ट ईयर की फीस 75 हजार रुपए बाकी है. 25 हजार रुपए तत्कालीन कलेक्टर अमित कटारिया ने जमा कराया था. वहीं सेकेंड ईयर की फीस 1 लाख 1 हजार रुपए है. उसने कहा कि 2 महीने के बाद परीक्षा है और कॉलेज प्रबंधन ने उसे फीस के बिना निकाल दिया है. उसने कहा कि उसे निःशुल्क नर्सिंग की ट्रेनिंग देने का आश्वासन दिया गया था. लेकिन अभी पढ़ाई के 2 साल बचे हुए हैं.

बहरहाल प्रशासन की नींद खुल गई है और छात्राओं की पढ़ाई नहीं रुके, इसके लिए प्रयास शुरू हो गए हैं.