रायपुर। लल्लूराम डॉट कॉम की खबर का एक बार फिर बड़ा असर हुआ है. लल्लूराम डॉट कॉम की खबर के बाद हरकत में आए आरटीओ विभाग द्वारा शिवम ट्रेव्हल्स की एक कार को जब्त कर लिया गया है. कार्रवाई के बाद ट्रेव्हल्स संचालक वीके दुबे ने ट्रैक्स और जुर्माना की राशि अदा करने की हामी भर दी है.

लल्लूराम डॉट कॉम ने आरटीओ विभाग में वीआईपी नंबर और टैक्स के फर्जीवाड़े की खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी जिसके बाद आरटीओ विभाग में हड़कंप मच गया. वरिष्ठ अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से लेते हुए न सिर्फ शिवम ट्रेव्हल्स के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश जारी किया बल्कि अन्य बड़े बकायादारों के खिलाफ भी कार्रवाई करने का आदेश जारी कर दिया. शिवम ट्रेव्हल्स के खिलाफ कार्रवाई करते हुए रायपुर एयरपोर्ट से उनकी कार को जब्त कर लिया गया और कार को माना थाना में खड़ा किया गया है. आरटीओ पुलक भट्टाचार्या के आदेश के बाद गुरुवार सुबह ट्रांसपोर्ट इंस्पेक्टर रामकुमार ध्रुव ने ये कार्रवाई की. कार्रवाई के बाद आनन फानन में शिवम ट्रेव्हल्स के संचालक वीके दुबे आरटीओ कार्यालय पहुंचे और फर्जीवाड़ा की गई टैक्स की राशि जुर्माने के साथ अदा करना की हामी भर दी है. आरटीओ पुलक भट्टाचार्य के मुताबिक शिवम ट्रेव्हल्स के ऊपर जुर्माना सहित टैक्स की 10 लाख रुपए से ज्यादा की रकम बकाया थी.

यह था मामला

मामला राजधानी के ग्राम फुंडहर सिटी साऊथ जोन-1 में स्थित शिवम ट्रेव्हल्स का है, ट्रेव्हल्स के संचालक वी.के. दुबे द्वारा आरटीओ में पदस्थ कैशियर और बाबूओं के साथ मिलीभगत कर कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर बिना टैक्स एवं किसी तरह की फीस पटाये हुए वाहन साफ्टवेयर में फीस की इन्ट्री कर दी गई. ट्रेवल्स संचालक द्वारा 10 वाहनों का रायपुर आरटीओ कार्यालय में पंजीयन कराया गया और उनका फैंसी नंबर भी लिया गया लेकिन गाड़ियों का न तो लाइफ टाइम रोड टैक्स पटाया गया न ही पंजीयन शुल्क और जो फैंसी नंबर(वीआईपी नंबर) लिया गया उसके भी पैसे जमा नहीं किया गया. 3 ऐसी गाड़ियों का पता चला है जो बगैर पंजीयन के सड़क पर धड़ल्ले से दौड़ाई जा रही है. आपको बता दें कि इन 10 गाड़ियों का पंजीयन फीस, लाइफ टाइम टैक्स और फैंसी नंबर का 5 लाख रुपए से ज्यादा की रकम होती है लेकिन हेराफेरी करते हुए महज साढ़े सात हजार रुपए ही जमा किया गया.

आरटीओ पुलक भट्टाचार्य द्वारा पदभार संभालने के बाद जब उन्होंने विभाग में चल रहे गड़बड़ियों को खंगालना शुरू किया तब मामले का खुलासा हुआ और उन्होंने जांच के आदेश दे दिए। आनन-फानन में मामले की जांच की गई और साफ्टवेयर में फर्जी इंट्री किए जाने के पुख्ता सबूत भी अधिकारियों को प्राप्त हुए. जांच में कैशियर एस.एन टेलर, होलसिंह पालेश्वर और यूके मिश्रा का नाम सामने आया जिन्होंने अपने-अपने यूजर आईडी और पासवर्ड का उपयोग करते हुए रिसीप्ट जनरेट की. जिसमें मोटरयान कर एवं ई-शुल्क के लिए ई-चालान के माध्यम से पैसा जमा होना दर्शाया गया लेकिन ये पैसे कोषालय में जमा नहीं किया गया.

मामले में ट्रेव्हल्स संचालक वी.के. दुबे को दोषी माना गया और उसे 7 दिनों के भीतर ब्याज सहित राशि जमा करने का निर्देश जारी किया गया. ट्रेव्हल्स संचालक वी.के. दुबे को चेतावनी के साथ 23.08.2016 और 23.02.2017 को दो-दो बार नोटिस जारी की गई. जिसमें पैसा नहीं पटाने पर पुलिस में एफआईआर कराए जाने की चेतावनी दी गई.

50 लाख रुपए किया जमा

वहीं विभाग द्वारा वर्षों से टैक्स नहीं पटाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए जीवन महिन्द्रा ट्रेव्हल्स संचालक से 50 लाख रुपए की राशि वसूल की गई. इसके साथ अन्य  के खिलाफ भी नोटिस जारी कर दी गई है. जीवन महिन्द्रा के संचालक द्वारा सालों से टैक्स की राशि जमा नहीं की जा रही थी.

नहीं होगा रजिस्ट्रेशन

उधर इस मामले के बाद टैक्स नहीं पटाने वाले ट्रांसपोर्टरों को विभाग ने डिफाल्टर की सूची में डाल दिया है और उनके द्वारा खरीदी जा रही नई गाड़ियों का आरटीओ में पंजीयन नहीं करने का निर्णय भी लिया गया है. आरटीओ के इस निर्णय से ट्रांसपोर्टर बकाया टैक्स का भुगतान करने के लिए मजबूर होंगे. आपको बता दें कि ट्रांसपोर्टरों और ट्रेव्हल्स संचालकों द्वारा टैक्स न पटाकर सरकार को राजस्व का चूना लगाया जा रहा था इसके साथ एक के बाद एक नई गाड़ियां खरीदकर उनकी भी टैक्स की चोरी की जा रही थी.