महेंद्र पाण्डेय नगरी। स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिला होने के बाद भी धमतरी जिले के अन्तिम छोर में आने वाला वनांचल क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं का बहुत ही बुरा हाल है. यहां के सरकारी अस्पताल में डॉक्टर नहीं है जिसके कारण ग्रामीणों के इलाज के लिए प्राइवेट डॉक्टरों की शरण में जाना पड़ता है जिस वजह से उनकी जेब से मोटी रकम कट रही है.आदिवासी बहुमूल्य होने के साथ-साथ यह वनांचल माओवादी प्रभावित इलाका भी है. इसके बाद भी यहां स्वास्थ्य सुविधाएं बहाल नहीं की गई है. यहां के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र साकरा सेक्टर के तहत दर्जनभर से अधिक गांव में उप स्वास्थ्य केंद्र तो संचालित हो रही है लेकिन सभी उप स्वास्थ्य केंद्रों में महिला और पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के भरोसे ही संचालित किया जा रहा है. डॉक्टर नहीं होने के कारण यह सभी स्वास्थ्य केंद्र सिर्फ टीकाकरण का केंद्र बनकर रह गया है सर्दी बुखार जैसी छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज भी यहां नहीं हो पा रही है साथ ही मरीजों को इलाज के लिए लंबी दूरी तय कर साकरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आना पड़ता है लेकिन विडंबना यह है कि यहां भी डॉक्टरों की कमी है जिसके चलते अधिकांश मरीजों को सामुदायिक केंद्र रिफर कर दिया जाता है.
80 किलोमीटर का लंबा सफर
वनांचल के अधिकांश गांव जिले के सीमांत क्षेत्र में है. यहां के ग्रामीणों को उप स्वास्थ्य केंद्र नगरी जाने के लिए गरियाबंद जिले से होकर नगरी जाना पड़ता है उप स्वास्थ्य केंद्र की दूरी करीब 80 किलोमीटर पड़ती है. परेशानियों को देखते हुए अधिकतर ग्रामीण तो प्राइवेट और झोलाछाप डॉक्टरों के पास इलाज कराने के लिए चले जाते हैं जिस वजह से कई बार उनकी जान पर भी बन आती है.
ये गांव ज्यदा प्रभावित है
अतिसंवेदनशील क्षेत्र रिसगाँव, खल्लारी जोरातराई करही मासूलखोई ठेनही, बरपदर, चमेदा, संदबाहरा,करखा, अमझर , शालेभट्ट, जोगीबिरदो, बेलरबाहरा, पंडरीपानी, अर्जुनी, बसिन, सहित कई गांव की दूरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लगभग 20 से 65 किलोमीटर तक की है ऐसे में मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
एंबुलेंस की सुविधा नहीं
ग्रामीण भगवान सिंग नाग रिसगांव, दीनू मरकाम, अगनू नेताम आदि ने बताया कि रिसगांव क्षेत्र में संजीवनी 108 और महतारी 102 की सुविधा नहीं है और ना ही उचित नेटवर्क की सुविधा है, जो तत्काल मरीज के उपचार के लिए टोल फ्री नंबर पर संपर्क किया जा सके. जिस वजह से मरीजों को स्वयं के साधनों में अस्पताल पहुंचना पड़ता है कई बार तो वाहन नहीं मिलने के कारण मरीजों की जान भी चली गई है. अतिसंवेदनशील और नगरी ब्लाक के अंतिम क्षेत्र में होने के कारण इस क्षेत्र में उप स्वास्थ्य केंद्र की मांग ग्रामीणों के द्वारा कई बार की गई है लेकिन शासन ने पिछड़ा हुआ इलाका होने के कारण इस क्षेत्र में कोई बड़ा स्वास्थ्य केंद्र खोलने का नाम ही नहीं ले रही है. जिसका खामियाजा ग्रामीणों को अपनी जान देकर देना पड़ रहा है. हर साल सुविधाएं नहीं होने के कारण कई लोगों का सही समय इलाज नही होने पर प्रसव एक्सीडेंट में घायल मरीज व सांप, जंगली, जानवरों के हमलों से इलाज नहीं होने के कारण जान गंवानी पड़ती है. ग्रामीणों की सरकार से मांग है कि इस क्षेत्र में एक बड़ा उप स्वास्थ्य केंद्र खोला जाए।