नई दिल्ली । चुनावी मौसम आते ही राम मंदिर का मसला गर्माने लगा है. 2019 में लोकसभा चुनाव हैं ऐसे में विश्व हिन्दू परिषद ने शुक्रवार को कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए वह ‘अंतिम लड़ाई’ लड़ रही है और इस वर्ष के अंत तक संसद में एक अध्यादेश लाने के लिए केन्द्र सरकार के लिए एक ‘समय सीमा’ तय की गई है. राम जन्मभूमि न्यास के कार्यकारी प्रमुख महंत नृत्य गोपाल दास की अध्यक्षता में विहिप की उच्च स्तरीय समिति की यहां हुई एक दिवसीय बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें संसद में एक अध्यादेश लाने की मांग की गई, जो उत्तर प्रदेश के अयोध्या में विवादित स्थल पर एक भव्य राम मंदिर के निर्माण का रास्ता निकालेगा.
बैठक के बाद संतों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और उन्हें प्रस्ताव की एक प्रति सौंपी और उनसे अनुरोध किया कि सरकार उनकी मांगों को पूरा करें. विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार के लिए इस वर्ष के अंत तक संसद में अध्यादेश लाये जाने की ‘‘समयसीमा’’ तय की गई है.
पीएम नरेन्द्र मोदी सरकार को ‘राम भक्तों’ में से एक के रूप में वर्णित करते हुए विहिप नेता ने उम्मीद जतायी कि देश में करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को स्वीकार किया जायेगा और ‘‘2018 के सूर्यास्त से पहले’’ कानून लाया जायेगा. कुमार ने कहा,‘‘यदि ऐसा नहीं होता है तो इसके बाद हमारे पास सभी विकल्प हैं. इलाहाबाद में महाकुंभ के इतर अगले वर्ष होने वाली दो दिवसीय ‘धर्म संसद’ के दौरान भविष्य की रणनीति पर निर्णय लिया जायेगा. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम लिये बगैर कुमार ने कहा कि ‘‘जनेऊधारी’’ नेताओं को भी उनकी मांग का समर्थन करना चाहिए.