रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य का दक्षिणी इलाका देश के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में गिना जाता रहा है. राज्य बनने के बाद से ही नक्सलवाद नवोदित छत्तीसगढ़ राज्य के विकास की दिशा में सबसे बड़ी बाधा थी, लेकिन वर्तमान में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में पुरजोर काम कर रही है, जिसके बेहद सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं. नक्सल मोर्चे पर सीएम विष्णुदेव साय के नेतृत्व में जो काम हो रहा है, उसके चलते उन इलाकों में दशकों बाद लोकतंत्र की बहाली की तस्वीर सामने आ रही है. नक्सलियों के गढ़ में लोकतंत्र की सफलता दिखाती है कि विकास, शांति और समृद्धि के प्रयासों के बावजूद इन क्षेत्रों में लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं मजबूत हो सकती हैं.
विष्णुदेव साय की सरकार ने यहां सुरक्षा बलों के साथ-साथ विकास कार्यों पर भी जोर दिया है, ताकि इन क्षेत्रों के लोगों को मुख्यधारा में लाया जा सके. शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क निर्माण और रोजगार जैसे विभिन्न पहलुओं पर काम किया जा रहा है. इसके अलावा, स्थानीय लोगों को अपने अधिकारों का अहसास और उनके बीच विश्वास बढ़ाने के लिए प्रशासनिक प्रक्रिया में अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित किया गया है.
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के अरनपुर-जगरगुंडा इलाके के गांव पोटाली में लगभग 19 वर्ष बाद फिर से स्वास्थ्य सुविधा बहाल हो गई है. पोटाली के ग्रामीणों को अब उनके गांव में ही स्वास्थ्य सुविधा मिलनी शुरू हो गई है. सीएम विष्णुदेव साय के विशेष पहल पर विधायक चैतराम अटामी ने पोटाली गांव में फिर से तैयार सर्वसुविधायुक्त उप स्वास्थ्य केंद्र (आयुष्मान आरोग्य मंदिर) का शुभारंभ किया.
आपको बता दें कि पोटाली ग्राम पंचायत दंतेवाड़ा जिले के अरनपुर-जगरगुंडा इलाके में स्थित है, जो कभी धुर नक्सल प्रभावित इलाका रहा है. विष्णुदेव सरकार के नक्सल उन्मूलन अभियान की सफलता के चलते अब यहां शांति और विकास की बयार बहने लगी है, जिसके फलस्वरूप यहां स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क सहित अन्य बुनियादी सुविधाएं तेजी से पहुंचने लगी हैं.
बताया जाता है कि वर्ष 2004-05 में एनएमडीसी द्वारा ग्राम पोटाली सब हेल्थ सेंटर का निर्माण कराया गया था. निर्माण के कुछ समय बाद ही नक्सली हिंसा और सलवा जुडूम आंदोलन के कारण यह पूरी तरह से बंद हो गया और स्वास्थ्य केंद्र का भवन खंडहर में तब्दील हो गया. नक्सलियों ने इस भवन की दीवारों पर धमकी भरे संदेश लिख दिए थे और इस भवन का उपयोग करने वालों को नुकसान पहुंचाने की चेतावनी देते थे, जिसके चलते यह उप स्वास्थ्य केंद्र पूरी तरह से अनुपयोगी हो गया था.
पोटाली गांव के लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अरनपुर या समेली गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक पैदल जाना पड़ता था. कई बार केवल बुनियादी दवाओं के लिए भी उन्हें मीलों चलना पड़ता था. यह स्थिति ग्रामीणों के लिए बेहद कठिन और निराशाजनक थी. ग्रामीणों की मांग और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की पहल को देखते हुए शासन-प्रशासन द्वारा फिर से इसका जीर्णोद्धार, रंग-रोगन एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की गई. ग्रामीण बताते हैं कि इस स्वास्थ्य केंद्र के जीर्णोद्धार के दौरान अप्रैल 2023 में अरनपुर के पास हुए एक बम धमाके में 10 सुरक्षाकर्मियों की शहादत ने पूरे क्षेत्र में भय व्याप्त हो गया, जिसके चलते ठेकेदारों और श्रमिकों ने अपनी सुरक्षा के डर से काम रोक दिया. शासन-प्रशासन द्वारा ग्रामीणों को विश्वास में लेकर काम को फिर से शुरू किया गया, लेकिन अप्रैल 2024 में एक स्थानीय जनप्रतिनिधि जो पोटाली में स्वास्थ्य सुविधा की बहाली के लिए बढ़-चढ़कर काम कर रहे थे, नक्सलियों द्वारा उनकी हत्या कर दी गई.
इन सभी बाधाओं के बावजूद पोटाली स्वास्थ्य केंद्र को पुनर्जीवित करने का कार्य नहीं रूका. सीएम विष्णुदेव साय के विशेष निर्देश पर प्रशासन की टीम ने यहां पूरा जोर लगा दिया. जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और ग्रामीणों के अथक प्रयास से यह काम अंततः पूरा हुआ और पोटाली स्वास्थ्य केंद्र वहां की जनता के लिए लोकार्पित कर दिया गया है. छत्तीसगढ़ सरकार की नियद नेल्ला नार योजना का भी पोटाली में स्वास्थ्य सेवाओं की बहाली में महत्वपूर्ण रोल रहा है. इस स्वास्थ्य केंद्र में छह-बिस्तरों वाला वार्ड की भी सुविधा है जिसके सफल संचालन के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी, ग्रामीण स्वास्थ्य समन्वयक और 26 मितानिन की टीम मौजूद है.
पोटाली में स्वास्थ्य केंद्र शुरू हो जाने से ग्रामीण बेहद प्रसन्न हैं. ग्राम पंचायत की सरपंच ललिता मंडावी ने कहा कि उनके गांव में सर्वसुविधायुक्त उप स्वास्थ्य केंद्र का शुरू होना अच्छी बात है. अब ग्रामीणों को इलाज के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. गांव के युवा दिलीप कुमार ने कहा कि नक्सलियों के चलते गांव का स्वास्थ्य केंद्र उजड़ गया था. यहां के लोगों को इलाज कराने के लिए अरनपुर और समेली जाना पड़ता था, जो कि 15 से 18 किलोमीटर की दूरी पर है अब लोग गांव में ही इलाज करा लेंगे. गांव में आवागमन के लिए सड़क सहित अन्य सुविधाओं का भी विकास हो रहा है.
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लोकतंत्र की जीत यह दर्शाती है कि जब सरकार और समाज एकजुट होकर काम करते हैं, तो नक्सलवाद जैसी समस्याओं का समाधान संभव हो सकता है. यह जीत यह भी दर्शाती है कि लोगों का लोकतांत्रिक अधिकार उनके विकास और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक