आर्थिक तंगी सारे अरमानों को तोड़ देती है. गरीबी की आंच से सभी इच्छाएं और उम्मीदें जल जाती हैं. मजबूरी की लकीरों के सिवा कुछ बचता ही नहीं. छोटी-छोटी खुशियों से मोहताज ऐसा ही एक मजदूर परिवार था. दंपत्ति मजदूरी कर अपना पेट पालते. रोजी से जो मिलता वो घर खर्च में ही निकल जाता. बचत के लिए पैसे ही नहीं रह पाते. लिहाजा दंपत्ति ने अपने सपने और इच्छाएं ही मार दी. जब जरूरत पड़ती तो दूसरों से फोन लेकर बात करनी पड़ती. दूसरों से फोन मांग कर बात करना इस खुद्दार दंपत्ति को रास नहीं आता. वे कई बार सोचते कि थोड़े पैसे बचाकर एक सस्ता फोन खरीद लें, क्योंकि फोन का होना बहुत जरूरी था. लेकिन पैसे कभी बच ही नहीं पाते, जिससे वे फोन ले सकें. दूसरों के पास फोन देखते तो लगता कि कभी उनके पास भी फोन होता तो किसी से मांगने की जरूरत ही नहीं पड़ती. जब संचार क्रांति योजना के बारे में इस दंपत्ति को पता चला तो इनकी खुशी का ठिकाना ना रहा. दंपत्ति ने फार्म भरकर फोन के लिए आवेदन दिया, और जल्द ही इनके पास एक स्मार्ट फोन आ गया. 

विधि अग्निहोत्री, लक्ष्मीकांत बंसोड़ ।  डौंडी में रहने वाले ये मजदूर दंपत्ति हैं टेश्वर और ममता. टेश्वर और ममता की 3 साल के बेटे है. टेश्वर ने बताया कि पहले केवल वही मजदूरी करता था. लेकिन घर में बच्चे के जन्म के बाद से जिम्मेदारियां और खर्च दोनों ही बढ़ गए. लिहाजा बच्चे की परवरिश के लिए ममता भी मजदूरी करने लगी. ममता मजदूरी करने जाती तो बच्ची को भी अपने साथ लेकर जाती. अपनों से दूर ये परिवार जैसे-तैसे अपना गुजारा कर रहा था. परिवार की याद आती तो मन को मार कर समझा लेते, तब लगता कि काश एक फोन होता तो परिवार और रिश्तेदारों से बात हो जाती. लेकिन हर बार पैसै किसी ना किसी काम में खर्च हो ही जाते. फोन लेने के लिए पैसे बचते ही नहीं. दंपत्ती ने मान लिया था कि वो कभी फोन नहीं ले पायेंगे. लेकिन इनके सपने को रमन सरकार ने पूरा कर दिया. यह दंपत्ति खुश है कि अब किसी से फोन मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि सरकार ने उन्हे स्मार्ट फोन जो दे दिया है.

इसी तरह 150 लोगों की छोटी सी आबादी वाले गांव भुतिपारा के रहवासी हैं राजाराम और रंजीता. राजाराम और रंजीता दोनों ही खेती कर गुजर बसर करते हैं खेती से ही अपना और 2 बच्चों का पेट भरते हैं. खेत भी ज्यादा बड़ा नहीं है. तो बस किसी तरह जीवन चल रहा है. इस परिवार की सबसे बड़ी समस्या थी बच्चों की पढ़ाई. क्योंकि कुछ विषयों पर इंटरनेट की मदद से जानकारी लेनी पड़ती. राजाराम और रंजीता ने कई बार एक स्मार्ट फोेन खरीदने की कोशिश की लेकिन स्मार्ट फोन की कीमत ज्यादा होने से वो फोन नहीं ले पाते. रंजीत बताती हैे कि हम बच्चों से हर बार बोला करते कि इस माह फोन जरूर लेकर देंगे लेकिन हकीकत तो यही थी कि हमारी फोन लेने की हैसियत नहीं थी. बच्चों को यह बोलकर बहला लिया करते कि पिता के इलाज में पैसे लग गए. अगले बार जरूर लेकर देंगे. राजाराम ने बताया कि जो मैं अपने बच्चों के लिए नहीं कर पाया वो प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कर दिया. संचार क्रांति योजना से हमें भी फोन मिल गया. बच्चों से ज्यादा तो हम खुश हैं अब और झूठ बोलने की जरूरत नहीं. बच्चे भी मन लगा कर पढ़ाई कर पाते है. इनके पास हर सवालों के जवाब हैं. जो विषय स्कूल में समझ नहीं आता वो फोन पर आकर समझ लेते हैं नई-नई चीजें बनाते हैं पूछने पर बच्चे बताते हैं कि यू-ट्यूब पर वीडियो देख कर सीख रहे है.

वहीं आमाडुला के आनंद नागवंशी ने बताया कि पहले उनके घर में केवल एक ही फोन था. जब मैं बाहर जाता तो फोन लेकर जाता ऐसे में घर वालों को परेशानी हो जाती. घर में पत्नी और बच्चे अकेले रहते हैं कभी कोई इमरजेंसी हो जाने पर वे घबरा जाते कि कैसे मुझे सूचित करें. लिहाजा उनके पास भी फोन का होना जरूरी था. लेकिन नया स्मार्ट फोन खरीदने के पैसे नहीं थे. लेकिन अब मुख्यमंत्री रमन सिंह ने हमारी समस्या ही खत्म कर दी. अब मेरी पत्नी भी निश्चिंत है. घर में सभी ने स्मार्ट फोन चलाना सीख लिया है. फोन से अपने रिश्तेदारों को वीडियो कॉल करते हैं, यू-टयूब पर वीडियो देखते हैं, सेल्फी लेते हैं. आनंद की पत्नी ने कहा कि हम सब खुश हैं कि सरकार ने फोन देने की योजना बनाई. घर में अकेली रहने वाली महिलाएं अब सुरक्षित महसूस कर रही हैं. संचार क्रांति योजना से एक नहीं कई लोगों को लाभ होगा.

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