चाहत की कोई सीमा नहीं. न गरीबी आड़े आती है और न ही कोई बंधन. डिजीटल होती दुनिया में जब दूसरों के हाथों में स्मार्टफोन नजर आता, तो कई महिलाओं और युवतियों को लगता कि काश हम भी ऐसी ही दुनिया का हिस्सा होते. हाथों में स्मार्टफोन होता और हम तकनीक से हाथ मिलाते चलते. हालात बदलते देर नहीं लगी. सूबे के मुखिया डाॅ.रमन सिंह ने लाखों महिलाओं और युवतियों की इस चाहत को पूरी करते हुए संचार क्रांति योजना शुरू की. इस योजना ने दुनिया को बताया कि आखिर कैसे स्मार्टफोन के जरिए महिलाओं को सशक्त किया जा सकता है. महिला सशक्तिकरण की एक ऐसी ही मिसाल हैं मंटोरा बाई.

मंटोरा बाई भाटागांव की रहने वाली है. और बचपन से ही सब्जी बेचने का काम करती है. शादी के बाद भी मंटोरा परिवार का पेट पालने सब्जी बेचा करती. सब्जी बेचकर ही उसने अपने बच्चों को पढ़ाया और उनकी शादी भी कराई. अब मंटोरा घर में अकेली हो गई हैं बेटा भी काम के सिलसिले में दिन भर घर से बाहर रहता है. मंटोरा आज भी सब्जी बेचकर अपने लिए दो वक्त की रोटी का इंतेजाम करती है. घर के हालात बहुत खराब है. एक कमरे का छोटा सा घर है जहां मंटोरा रहती हैं मंटोरा अक्सर सोचती कि काश बेटी से बात हो जाती. लेकिन बेटे के घर आने तक इंतेजार करना पड़ता क्योंकि फोन बेटे के ही पास था. लेकिन संचार क्रांति योजना ने मंटोरा के हाथों में भी फोन दे दिया. मंटोर ने अब फोन लगाना सीख लिया है. अपने नाति पोतियों से बात कर लेती है. बेटी को वीडियो कॉल करके देख लेेती है. स्मार्ट फोन मिल जाने से मंटोरा की खुशी देखते ही बनती है. 

फाइल इमेज

संतोषी बाई एक गृहणी है और घर की जिम्मेदारियों में ही व्यस्त रहती है. घर में कुछ लोगों के पास स्मार्ट फोन था लेकिन संतोषी के पास एक भी फोन नहीं था. लिहाजा कहीं बात करना हो तो परजनों से फोन मांगना पड़ता या उनके घर आने का इंतेजार करना पड़ता. लेकिन जब से संतोषी को फोन मिला है तब से संतोषी को किसी से फोन मांगने की जरूरत नहीं. फोन पर ही अब वह सीरियल देख लेती है, यूट्यूब पर नई-नई रेसीपी बनाना सीखती है, गाने सुन लेती है. 

संतोषी के बच्चे भी फोन मिल जाने से खुश हैं बच्चे फोन पर ही पढ़ाई कर लेते हैं, देश दुनिया की जानकारी जुटा लेते हैं, फोन पर ही पूरा परिवार रमन के गोठ सुन लेता है.

संचार क्रांति योजना ने छत्तीसगढ़ के लोगों की जिंदगियां बदल दी हैं लोग पहले से ज्यादा आत्मनिर्भर हो गए हैं और तेजी डिजिटली साक्षर हो रहे हैं.

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