रायपुर. राज्य शासन में वर्ष 2012 से 2017 के मध्य संविदा में ओएसडी के तौर पर पदस्थ रहे समुंदराम सिंह के खिलाफ शिकायत होने के बाद शुक्रवार को आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) की आठ टीमों की छापेमारी में उनकी लगभग 15 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति का पता चला है. मामले में ईओडब्ल्यू की विवेचना जारी है.

संविदा में पदस्थ समुंदराम सिंह राज्य शासन के नियमों के तहत वित्तीय-प्रशासनिक अधिकार प्राप्त नहीं होने के बाद भी वित्तीय निर्णय लिए, वहीं नोटशीट पर संबंधित मंत्री का अनुमोदन लिए बिना ही आदेश जारी किए. इस सूचना का सत्यापन कर समुंदराम सिंह व अन्य के विरुद्ध धारा 7(सी) भनि,अ. 1988 यथा संशोधित भ्र.नि.अ, 2018 और 420, 467, 468, 471, 120 बी भादवि पंजीबद्ध किया है.

समुंदराम सिंह के बिलासपुर स्थित मकान में ईओडब्ल्यू की टीम

इस दिशा में आगे कार्रवाई करते हुए अपराध से संबंधित दस्तावेज की सूचना प्राप्त होने पर ईओडब्ल्यू की 8 टीमों ने समुंदराम सिंह एवं उनके सहयोगियों के छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश स्थित ठिकानों पर एक साथ रेड किया गया. तलाशी के दौरान बोरियाकला रायपुर में मकान, बिलासपुर में 2 मकान और प्लाट, अनूपपुर में 3 मकान और जमीन, ग्राम बिनौरी मुंगेली में लगभग 10 एकड़ का फार्म हाउस, गौशाला एवं स्वीमिंग पुल के साथ, कैश एवं ज्वेलरी, 2 चारपहिया एवं 3 दोपहिया वाहन, लगभग 20 से अधिक बैंक खातों के दस्तावेज, लगभग 20 इन्स्यारेंस पॉलिसी के दस्तावेज, अनूपपुर मप्र में 40-50 एकड़ का भव्य फार्म हाउस, जिसका मूल्यांकन करवाया जा रहा है.

आरोप है कि समुंदराम सिंह ने अपनी पदस्थापना के दौरान घड्यंत्रपूर्वक कार्य कर राज्य शासन को करोड़ों की क्षति पहुंचाई. छत्तीसगढ़ आबकारी नियमों के मुताबिक राज्य शासन को प्रतिवर्ष देशी एवं विदेशी मदिरा के अधिकतम और न्यूनतम रिटेल दर का निर्धारण किया जाना आवश्यक होता है, लेकिन वर्ष 2012-13 से 2016-17 के मध्य निविदाकर्ताओं को बिना कारण के बहुत अधिक मुनाफा प्रतिशत देते हुए रिटेलरों और ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया.

भारत के नियंत्रक, महालेखा परीक्षक के प्रतिवेदन 2017-18 में भी उल्लेख है कि वर्ष 2012-13 से वर्ष 2016-17 तक की अवधि में विदेशी मदिरा के रिटेलरों/ठेकेदारों को लगभग 950 करोड़ और इसी अवधि में देशी मदिरा के रिटेलरों/ठेकेदारों को लगभग 570 करोड़ का अधिक मुनाफा दिया गया है. छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती राज्य झारखण्ड एवं ओडिसा में अधिकतम 25 प्रतिशत मुनाफा दिया गया, जबकि छत्तीसगढ़ में 2012-13 एवं 2013-14 में 60 प्रतिशत तथा वर्ष 2014-15 से वर्ष 2016-17 तक 50 प्रतिशत मुनाफा दिया गया.