पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद। ये गरियाबंद जिला है साहब, यहां करप्शन की कहानियां हर किसी के जुबान पर है. इस डिस्ट्रिक्ट के सफेद पन्नों में करप्शन के काले छाप हैं, जो अब उभरने लगे हैं. यहां पति, पत्नी और करप्शन की कहानी फेमस है. पति, फर्म, बिल और घोटाले का खेल बेलगाम है. करप्शन गेम के बीच एक इस्तीफे ने सारी घोटाले और काली करतूतों की पोल खोल कर रख दी है. करप्शन की दलदल में एक इस्तीफे से खलबली मच गई है. 1 करोड़ से ज्यादा का घोटाला, CEO की बेटी की भरी झोली, एक अधिकारी को दुकान को तोहफा और बाबू के भी बल्ले-बल्ले हैं. बस इस्तीफे के बाद आनन-फानन में 15 सदस्यों के दस्खत से करप्शन पर पर्दा डालने का खेल शुरू हो गया है.

सरकारी नुमाइंदों की झोली भरी

दरअसल, गरियाबंद के देवभोग में भारी भ्रष्टाचार को रोकने में नाकाम जनपद उपाध्यक्ष ने कलेक्टर को इस्तीफा दे दिया है. 7 बिंदुओं पर जांच की मांग की है. उपाध्यक्ष ने कहा कि पद का दुरुपयोग कर जनपद अध्यक्ष ने अपने पति की फर्मों के बिलों से लाखों का भुगतान ले लिया. गरीबों को फायदा पहुंचाना था, बेरोजगारों को लाभ देना था, लेकिन सांठगांठ कर सरकारी नुमाइंदों की झोली भरी जा रही है.

1 करोड़ से ज्यादा के भ्रष्टाचार

जनपद उपाध्यक्ष ने कहा कि व्यवसायिक परिसरों के आवंटन में मनमाने ढंग से सरकार की छवि धूमिल की गई. इसे रोकने पर मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की धमकी दी जाती है. उन्होंने देवभोग जिले में हुए भ्रष्टाचार की जांच की भी मांग की. बेसरा ने 7 बिन्दुओं में अनियमितता गिनाने से पूर्व कहा कि भाजपा समर्थित जनपद अध्यक्ष ने सीईओ के साथ मिलकर जनपद को प्राप्त जन कल्याणकारी मद में गबन किया. उन पर करीब 3 साल के कार्यकाल में 1 करोड़ से ज्यादा के भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं.

पद से हटाने की धमकी

बताया कि बैठक में जब भी अनियमितता की भनक लगी तो वह रुकते रहे. जिले में भाजपा समर्थित सदस्यों की संख्या अधिक होने के कारण कई ऐसे प्रस्ताव आसानी से सदस्यों को गुमराह कर दिए गए, जिनमें जनहित की उपेक्षा की गई. निजी स्वार्थ झलक रहा था. बेसरा ने कहा कि अगर मैं उनका विरोध करता हूं, तो मुझे पद से हटाने की धमकी दी जाती है.

बेसरा ने कहा कि मैं जनपद में हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने में विफल रहा हूं, इसलिए मैंने अपना इस्तीफा कलेक्टर को सौंप दिया है. साथ ही भ्रष्टाचार की जांच कर दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने, पद का दुरूपयोग करने वाले जनपद अध्यक्ष और अपने को अनुचित लाभ पहुंचाने वाले जनपद अध्यक्ष को भी पत्र लिखा है. परिवार के सदस्य ने नेहा सिंघल के खिलाफ धारा 40 के तहत कार्रवाई की मांग की है.

कैसे शुरू हुई करप्शन की कहानी ?

बेरोजगार की अधिकारी को मिली दुकान

लिखित शिकायत में बेसरा ने बताया कि कमर्शियल कांप्लेक्स के निर्माण से लेकर दुकान के आवंटन में भारी अनियमितता की गई है. जनपद विकास निधि की राशि परिसर को दीवार पर खड़ा कर पूरा मूल्यांकन किया गया. आबंटन में 5वें नम्बर दुकान लिलिमा ध्रुव जो जनपद मनरेगा शाखा में सहायक ग्रेड 3 के पद पर कार्यरत है.

पगड़ी में वसूली

दुकान क्रमांक 8 जिले में तैनात सहायक विस्तार अधिकारी पालेश्वर मरकाम की पत्नी कृतिका मरकाम को आवंटित थी. किराया नियंत्रक की सहमति के बिना किराए की बाजार दर से अधिक तय की गई थी. इस परिसर के किराएदार से पगड़ी के रूप में 30 से 40 हजार रुपए लिए गए. आवंटन लॉटरी सिस्टम से किया गया था. जनपद की दो महिलाओं के नाम लॉटरी सिस्टम में शामिल नहीं थे. मैंने इसका विरोध किया, लेकिन जनपद अध्यक्ष ने सब कुछ जानते हुए प्रस्ताव पारित करवा दिया. परिसर के आवंटन में मनमानी से सरकार की छवि धूमिल हुई है.

वाहन के नाम पर नियम विरुद्ध भुगतान

ज्ञापन में लिखा गया है कि मनरेगा कार्य निरीक्षण के नाम पर स्कॉर्पियो वाहन किराए पर लिया गया है, जो जनपद अध्यक्ष के जेवर शॉप में काम करने वाले कर्मचारी के नाम है. टेंडर प्रक्रिया में हेरफेर कर जनपद अध्यक्ष नेहा सिंघल ने पद का दुरूपयोग कर वाहन लगाया है. चालक के नाम पर पहले मनरेगा से लाखों रुपये का भुगतान किया गया, फिर से खटकी के नाम से वाहन खरीदा गया, मनरेगा से भुगतान बंद होने पर जिले के अन्य मदों से नियम विरुद्ध भुगतान किया गया. अपने पिछले कार्यकाल में वाहन की आड़ में जनपद मद का जमकर दुरूपयोग किया गया है.

कागजों पर हुआ विवेकानंद युवा प्रोत्साहन का काम

बेसरा के ज्ञापन में लिखा गया है कि विवेकानंद युवा प्रोत्साहन राशि के 10 लाख रुपये जिलाध्यक्ष और सीईओ द्वारा कागजों पर परिचितों के बिल के माध्यम से जागरुकता व अन्य कार्यक्रम दिखाकर निकाल लिए गए, जबकि सरकार ने इस मद का आवंटन युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए किया था.

इसी तरह 14वें व 15वें वित्त मद से जिलाध्यक्ष ने अपने चुने हुए क्षेत्र में बिछाने व मरम्मत जैसे कार्यों का आवंटन किया. उसने अपने पति दीपक सिंघल की फर्म श्री तिरुपति बालाजी एजेंसी और तिरुपति ज्वैलर्स सहित अन्य फर्मों के बिलों की मदद से कम काम किया. अधिक पैसा निकाला गया. इन सभी कार्यों का मूल्यांकन कर बिल देने की मांग की गई है.

आरईएस इंजीनियर को बनाया एजेंसी

आरोप है कि जनपद विकास निधि, 15वें वित्त मद की आकस्मिक राशि, विधायक सांसद मद की बचत राशि, जिला स्टांप शुल्क, उपकर एवं ब्याज की राशि से लगभग एक करोड़ रुपये का फर्जी बिल डालकर फर्जी बिल बनाकर गबन किया गया है. बजट के अलावा वाहन, डीजल, मरम्मत व साज-सज्जा के कार्य में खर्च दिखाकर राशि का गबन किया गया है. यहां तक कि जिले में पदस्थ आरईएस विभाग के उपयंत्री को भी कार्य एजेंसी दिखाकर उसके नाम से राशि का भुगतान कर दिया.

सेनेटाइजर के नाम पर 30 से 40 लाख का घोटाला

शिकायत पत्र के मुताबिक कोरोना काल मे जनपद अध्यक्ष के पति के फर्म तिरुपति बालाजी एजेंसी,ग्राम पंचायत और जनपद मद से लाखों का भुगतान किया गया है. मेडिकल व अन्य सरकारी सप्लाई के बावजूद पति के फर्म को फायदा दिलाने का दबाव बनाया गया, अपने पति के फर्म के नाम से जबरिया सेनेटाइजर खपाया गया. ऐसा ही लाभ सोलर लाइट लगवाकर लिया गया है,अध्यक्ष के दबाव से पंचायतो नियम विरुद्ध सोलर लाइट लगवाया, पति के फर्म को भुगतान भी हुआ. जब रिकवरी हुई तो इसका खामियाजा ग्राम पंचायत को भुगतना पड़ा है. सोलर व सेनेटाइजर के नाम पर 30 से 40 लाख का भुगतान लिया गया है.

देर शाम अविश्वास प्रस्ताव लेकर कलेक्टोरेट पहुंची जनपद अध्यक्ष

सुबह 11 बजे बेसरा के स्तीफे के पेशकश और शिकायत के बाद जनपद अध्यक्ष नेहासिंघल जनपद सभापति व सदस्यों के साथ देर शाम कलेक्टोरेट पहुंची. उनके हाथों में 15 सदस्यों के हस्ताक्षर युक्त पत्र था, जिसमे जनपद उपाध्यक्ष सुखचन्द बेसरा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने मांग रखी गई थी, जिसे कलेक्टर प्रभात मलिक को सौंपा गया. सौंपे गए ज्ञापन में जनपद उपाध्याय सुखचन्द बेसरा पर सदस्यों ने कार्यप्रणाली पर असंतोष जता कर अविश्वास प्रस्ताव लाया है.

जनपद अध्यक्ष नेहा सिंघल ने मीडिया से कहा कि मुझ पर लगाए गए सारे आरोप बेबुनियाद हैं. जनपद अध्यक्ष का कहीं कोई दस्तखत नहीं होता, न ही मेरे पति कोई काम करते हैं. परिसर का आबंटन सभा में लॉटरी सिस्टम से हुआ है. उपाध्यक्ष भी बैठा हुआ था. जहां भी शिकायत करना है कर लें, आखिर जांच होगी तो सच सामने आ जाएगा.

कब बेनकाब होंगे घोटालेबाज ?

व्यवसायिक दुकान बनाकर पंचायत को सौंपना था, लेकिन पंचायत को न सौंपकर खुद जनपद ने हड़प लिया. खुद निलामी कराई. लोगों से अवैध तरीके से रकम की वसूली की गई. इन सबके बीच पंचायत भी जनपद अध्यक्ष की काली करतूतों से खफा है. करप्शन में जनपद डूब गया है, लेकिन इस पर कार्रवाई की कलम चलने से घबरा रही है.

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