प्रतीक चौहान. रायपुर. परिवहन विभाग के दो उच्च अधिकारियों पर राज्य परिवहन अपीलीय अधिकरण रायपुर के न्यायाधीश आनंद कुमार सिंघल ने 10-10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है, इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया है कि 7 दिन के अंदर वे आवेदक का परमिट जारी करने का आदेश भी दिया है. इसके अलावा न्यायालय ने ये भी आदेश दिया है कि करीब 25 महीने के शासन के राजस्व की भरपाई भी परिवहन विभाग के अधिकारियों को करनी होगी और इसके बाद न्यायालय को इसकी जानकारी देनी होगी
ये जुर्माना आरटीओ के तत्कालीन संयुक्त सचिव (क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार) और टोपेश्वर वर्मा तत्कालीन क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार पर लगाया गया है. इन दोनों अधिकारियों पर आरोप था कि जगदलपुर से कोंटा, असुर, जगगुंडा, बीजापुर से जगलपुर समेत बस्तर संभाग के अन्य रूट का परमिट विभाग द्वारा जारी किया गया था.
लेकिन उसे अधिकारियों ने ग्रांट नहीं किया. ऐसा नहीं है कि इस रूट के अन्य बस संचालकों के साथ भी ऐसा किया गया. परिवहन विभाग के अधिकारियों ने अन्य संचालकों को परमिट दिया और उसे ग्रांट भी किया.
इसके बाद अपने साथ हुए इस अन्याय को लेकर 6 अलग-अलग बस संचालको ने अधिवक्ता शिवेश सिंह के माध्यम से न्यायालय की शरण ली. जिसमें संदीप मिश्रा, आनंद मिश्रा, मीनू मिश्रा, अनूप तिवारी ने 6 अलग-अलग रूटों के लिए परमिट जारी होने के बाद 25 महीने तक ग्रांट न दिए जाने को लेकर आवेदन प्रस्तुत किया था.
इस पूरे मामले में आज सुनवाई करते हुए राज्य परिवहन अपीलीय अधिकरण रायपुर के न्यायाधीश आनंद कुमार सिंघल ने 10-10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है, इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया है कि 7 दिन के अंदर वे आवेदक का परमिट जारी करने का आदेश भी दिया है.
वहीं शासन के राजस्व को हुए नुकसान की भी भरपाई करने के आदेश भी न्यायालय ने दिए है. एक अनुमान के मुताबिक प्रति माह करीब 10 हजार रुपए के राजस्व का नुकसान एक प्रति रूट पर परिवहन विभाग को हुआ है.