वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट में बंधुआ मजदूरों के मामले में आज सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने बंधुआ मजदूरों के पुनर्वास की कार्रवाई नहीं करने पर जांजगीर चांपा कलेक्टर और राज्य शासन को नोटिस जारी किया है. उन्हें नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
छत्तीसगढ़ के 10 श्रमिक पिछले कुछ वर्षों से पंजाब में बंधुआ मजदूरों के रूप में काम कर रहे थे. इन सबको सामाजिक संगठन के प्रयास से पंजाब सरकार ने मुक्ति प्रमाण पत्र जारी किया. 2018 में पंजाब राज्य ने रीलीफ सर्टिफिकेट जारी किया था. इस तरह के मामलों में केंद्र शासन ने 2016 में एक योजना बनाई थी.
इसके अनुसार इस प्रकार के बंधुआ श्रमिकों को मुक्त होने के बाद संबंधित राज्य में उनका पुनर्वास किया जाता है. 2018 में मुक्त होकर आने के बाद जांजगीर कलेक्टर को इन 10 मजदूरों के पुनर्वास की व्यवस्था करने को कहा गया था. 3 साल बीत जाने के बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो नेशनल कैंपेन कमेटी फॉर इंजेक्शन बोंडेड लेबर ने हाईकोर्ट में एडवोकेट रजनी सौरेन के माध्यम से एक पी आई एल फ़ाइल की.
इस पर एक्टिंग चीफ जस्टिस प्रशांत मिश्र की स्पेशल डिविजन बेंच में सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद पुनर्वास की कार्रवाई नहीं करने पर कोर्ट ने कलेक्टर जांजगीर चाम्पा और राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
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