शिवम मिश्रा, रायपुर। राजधानी रायपुर के पुलिस विभाग पर बदनुमा दाग लग रहा है. एक पुलिस आरक्षक ने DGP कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारियों के कई राज खोले हैं. आरक्षक ने प्रताड़ित होकर बाबुओं के काले कारनामों की कहानी पेश की है. आरक्षक ने सोशल मीडिया पर अपना दर्द बयां कर इस्तीफा सौंप दिया. DGP कार्यालय के अंदरखाने में जो होता है, उसे सुन और देखकर हर कोई चौंक गया है. सोशल मीडिया पर भी कई तरह की बातें की जा रही है.

दरअसल, पीड़ित आरक्षक संजीव मिश्रा DGP कार्यालय अपराध अनुसंधान शाखा पुलिस मुख्यालय रायपुर में पदस्थ है, जिसने इस्तीफा सौंपकर सोशल मीडिया पर दर्द बयां किया है. आरक्षक ने लिखा कि ऐसी भी क्या मजबूरी सरकार या अधिकारियों की, जिसके कर्मचारी अपने विभाग प्रमुख से नहीं मिल सकते हैं. अपनी परेशानी अधिकारी के समक्ष नहीं रख सकते हैं.

आरक्षक ने लिखा कि ट्रांसफर के लिए लोग नेताओं के चक्कर लगा रहे हैं. बाबुओं को लाखों रुपए दे रहे हैं. पुलिस विभाग में पुलिस मुख्यालय के लोग खुद विभाग प्रमुख से नहीं मिल पा रहे हैं, तो जिला वालों की क्या स्थिति होगी. सोच कर रूह कांप जाती है. बस अपना दुख बताने के लिए रोज 50 लोग दूर जिलों से आते हैं. अपने बुजुर्ग माता-पिता को लेकर, प्रेगनेंट बीवी को लेकर निराशा ही हाथ लगती है. यहां बैठे बाबू, कर्मचारी पैसे उगाही में लगे हुए हैं.

आरक्षक संजीव मिश्रा ने Lalluram.com से बताया कि शुक्रवार की शाम मुझे पता चला कि पुलिस मुख्यालय के कुछ अधिकारी अपने मनमानी तरीके से गुप्त रूप से कंप्लेंट लिस्ट तैयार कर रहे हैं, जिसमें मेरा और कई लोगों का नाम भी बिना पृष्टि के डाल दिया गया था, लेकिन जब मैं शनिवार को डीजीपी साहब को नामजद पत्र लिखकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी देनी चाही तो मेरा पत्र वहां तक पहुंचता ही नहीं है.

आरक्षक ने कहा कि मेरे पत्र को कुछ अधिकारी वहां पर रोक देते हैं. पुलिस मुख्यालय के उच्च अधिकारी अपने लोगों का ट्रांसफर रोककर हम जैसे लोगों को जबरदस्ती भेज देते हैं. पुलिस मुख्यालय के कुछ चुनिंदा अधिकारियों के रवैये से तंग आकर मैं इस्तीफा दिया हूं. भविष्य में अगर डीजीपी साहब से मुलाकात नहीं होती है, तो मैं अधिकारियों के नाम का भी खुलासा करूंगा.

 

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