दिल्ली. दक्षिण एशियाई देशों में सिर्फ भारत ही रोजगार के संकट से नहीं जूझ रहा, बल्कि पड़ोसी श्रीलंका में भी नौकरी पाने के लिए युवाओं को ऐसी ही जद्दोजहद करनी पड़ रही है.

आपको याद होगा, अभी हाल ही में तमिलनाडु से खबर आई थी कि स्वीपर के 14 पदों पर भर्ती के लिए 4 हजार से ज्यादा आवेदन आए, जिनमें से अधिकतर आवेदक एमबीए, इंजीनियरिंग किए हुए थे.

श्रीलंका में भी कुछ-कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है. श्रीलंका में जल्लाद बनने को लेकर लोगों में जोश इतना ‘हाई’ है कि केवल दो पदों के लिए 100 आवदेन आए हैं, जिनमें से एक आवेदन अमेरिकी नागरिक का भी है. गौरतलब है कि श्रीलंका मादक पदार्थों के तस्करों को जल्द से जल्द फांसी देना चाहता है.

न्याय और कारागार सुधार मंत्रालय ने घोषणा की है कि सुरक्षा कारणों के चलते चुने गए लोगों के नाम और साक्षात्कारों की तारीख की घोषणा नहीं की जाएगी. जल्लाद के लिए दो पद हैं. उसने बताया कि एक अमेरिकी नागरिक ने भी आवेदन दिया है. आवदेन दायर करने की आखिरी तारीख 25 फरवरी थी. श्रीलंका में फांसी देना कानूनन वैध है लेकिन 1976 से किसी को फांसी नहीं दी गई है.

पिछले जल्लाद के पांच साल पहले इस्तीफा देने के बाद यहां कोई स्थायी जल्लाद नहीं है. श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेना ने फरवरी की शुरुआत में घोषणा की थी वह अगले दो महीने के भीतर मादक पदार्थों के दोषियों को फांसी पर लटका देंगे. न्याय मंत्रालय ने पहले घोषणा की थी कि मादक पदार्थों की तस्करी के मामले में 48 लोगों को फांसी की सजा दी गई थी. इनमें से 30 ने आगे अपील की है, इसलिए अब अन्य 18 दोषियों को फांसी दी जानी है.

श्रीलंका में जल्लाद के पद पर भर्ती के लिए 100 आवेदन मंगाने के पीछे सरकार की भी अपनी ‘मजबूरी’ थी. दरअसल, पिछला जल्लाद फांसी का तख्ता देखकर ही सदमे में चला गया था और 2014 में उसने इस्तीफा दे दिया था. एक अन्य को पिछले साल रखा गया लेकिन वह कभी नौकरी पर नहीं आया. वर्ष 2004 से बलात्कार, मादक पदार्थों की तस्करी और हत्या को बड़ा अपराध माना जाता है, लेकिन सजा केवल आजीवन कारावास तक ही दी गई है.