पीलीभीत. उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में पुलिस का अजब कारनामा सामने आया है. एक बालक अपनी ननिहाल में रह रहा है, लेकिन उसके पिता ने उसकी हत्या का आरोप लगाकर कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया. कोर्ट ने विवेचना कर रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया, लेकिन पुलिस ने बैगर जांच किए ही उसकी हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर ली. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एसपी और थाना प्रभारी को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है. वहीं बच्चे ने सुप्रीम कोर्ट में पेश होकर अपने जीवित होने के सबूत दिए हैं.
न्यूरिया थाना क्षेत्र के गांव रफियापुर निवासी चरम सिंह ने बताया कि उन्होंने अपनी पुत्री मीना की शादी गांव के ही भानुप्रकाश से की थी. शादी के बाद मीना ने पुत्र पैदा हुआ. जिसका नाम अभय रखा गया. वर्ष 2012-13 में मीना की मृत्यु हो गई. मीना के मायके वालों ने पति और ससुराल पक्ष पर दहेज हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसका मुकदमा अदालत में विचाराधीन है.
मृतका मीना के बेटे अभय को उसके नाना-नानी अपने घर ले गए. जिसके बाद बच्चे के पिता भानुप्रकाश ने परिवार न्यायालय में केस दर्ज कराया. इसके बाद अभय को उसके पिता को सौंप दिया गया. नाना ने इसके विरुद्ध हाईकोर्ट में केस दाखिल कर दिया.
बाद में अभय के पिता ने कोर्ट के आदेश पर एक मुकदमा दर्ज कराया, जिसमें आरोप लगाया कि ननिहाल वालों ने उसके पुत्र अभय को मार दिया गया. कोर्ट ने विवेचना कर केस दर्ज करने के आदेश दिया था. लेकिन न्यूरिया थाना पुलिस ने बिना जांच किए ही जीवित बच्चे को मृत दिखाकर प्राथिमिकी दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी.
नाना ने 11 साल के अभय को हाईकोर्ट में हाजिर किया और बताया कि उनका नाती अभय जीवित है. न्यूरिया पुलिस ने हत्या की गलत रिपोर्ट दर्ज की है। हाईकोर्ट में याचिका खारिज कर दी गई. इसके बाद चरम सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. वह अभय को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, जहां उसके जीवित होने के सबूत पेश किए.
मासूम बच्चे ने भी कोर्ट में गवाही देकर बताया कि वह जीवित है और अपनी ननिहाल में सुरक्षित रह रहा है. पिता ने उसके मामा और नाना पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें फंसाया है. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पीलीभीत के एसपी अतुल कुमार और न्यूरिया थाना प्रभारी को नोटिस जारी कर जबाव दाखिल करने का आदेश दिया है.