नासिर, उज्जैन। देश के 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक उज्जैन का महाकाल मंदिर सभ्यता, संस्कृति व प्राचीन इतिहास को समझने का केंद्र रहा है. बीते 300 साल में इस मंदिर के आसपास खुदाई हुई, नए रहस्य सामने आए हैं. यह सिलसिला 1732 ईस्वी से चला आ रहा है. ताजा मामला महाकाल मंदिर के विस्तारीकरण को लेकर चल रही खुदाई में 1100 साल पुरानी पुरानी देवी मूर्ती मिली है. जिसका परीक्षण भूवैज्ञानिक कर रहे हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि यहां परमार काल के दौरान तोड़े गए मंदिरों के अवशेष मिल रहे हैं. वहीं ये जानकारी सामने आई है कि मिली हुई मूर्ति को वहां खुदाई करवा रहे ठेकेदारों ने लावारिश छोड़ दिया है और मिट्टी के ढ़ेर में दबा दिया है. जिसे अबतक नहीं निकाला गया है. हालांकि अभीतक इस मामले पर महाकाल मंदिर प्रशासन की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.
दरअसल महाकाल मंदिर परिसर में विस्तारीकरण के लिए खुदाई का काम किया जा रहा है. बीते दिनों भी मंदिर परिसर चल रही खुदाई के दौरान एक प्राचीन दिवार मिली थी. दिवार में नक्काशी हुई थी, जिसके बाद खुदाई का काम रोक दिया गया था. पुरातत्व विभाग ने मिली दिवार को करीब एक हजार साल पुरानी बताई थी.
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बताया जाता है कि सिंधिया राजवंश के सचिव बाबा रामचंद्र शैडंवी ने महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था. उस समय 11वीं शताब्दी के देवनागरी लिपि में लिखे हुए 3 महत्वपूर्ण शिला लेख प्राप्त हुए थे, जिनमें 2 शिला लेख मंदिर की दीवार, जबकि 1 विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्व संग्रहालय में संरक्षित हैं. वहीं बीते चार दशक में भी नवनिर्माण के लिए की गई खुदाई में कई बार परमारकालीन पुराअवशेष प्राप्त हुए हैं.
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