सुकमा। एटेगट्टा से भेज्जी गांव तक 13 किमी सीमेंट कांक्रीट सडक़ बनकर तैयार है. बीते सप्ताह काम पूरा होने के बाद पुलिस व जिला प्रशासन ने राहत की सांस ली। सडक़ निर्माण के लिए माओवादी चुनौतियां कम नहीं थीं. बावजूद शासन-प्रशासन की जिद थी सडक़ बनाने की. सडक़ निर्माण कार्य में बाधा पहुंचाने माओवादियों ने 84 आईईडी प्लांट किए इसमें से दो आईईडी ब्लास्ट भी हुए. सुरक्षाबलों की डी-माइनिंग पार्टी ने 82 जिंदा आईईडी बरामद कर उन्हें निष्क्रिय किया. इसी साल 11 मार्च को भेज्जी थाना व कैंप से डेढ़ किमी दूरी पर नक्सलियों ने सीआरपीएफ की रोड ओपनिंग पार्टी पर बड़ा हमला भी किया. नक्सली हमले में 12 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए. सड़क निर्माण के दौरान इंजरम-भेज्जी मार्ग में हुए नक्सली वारदात में कुल 13 जवानों को शहादत देनी पड़ी. अगस्त में माओवादियों ने सडक़ निर्माण कार्य में लगे वाहनों को भी फूंक दिया था. सडक़ निर्माण में लगभग 26 करोड़ रुपए की लागत आई.
नक्सली हमला नहीं होता तो मई में बन जाती सडक़
एटेगट्टा से भेज्जी तक बनी सीमेंट कांक्रीट सडक़ बारिश से पहले मई माह में आखिरी सप्ताह तक बन कर तैयार हो जाती अगर नक्सली 11 मार्च को भेज्जी और 24 अप्रैल को बुरकापाल में दो बड़ी वारदात को अंजाम नहीं दिया होता. माओवादियों ने 45 दिन के भीतर सुरक्षाबलों पर दो बड़े हमले किए. सडक़ निर्माण कार्य को सुरक्षा देने निकली सीआरपीएफ की रोड ओपनिंग पार्टी के जवानों की टुकड़ी को निशाना बनाया. दोनों वारदात में 37 जवान शहीद हुए. नक्सली हमले के बाद सीआरपीएफ ने नक्सल ऑपरेशन पर फोकस करने की बात कहकर सडक़ निर्माण कार्य की सुरक्षा में जवानों की तैनाती से इंकार कर दिया. दोनों नक्सली हमले के दौरान सडक़ निर्माण कार्य प्रभावित हुआ और मई में बनकर तैयार होने वाली सडक़ का काम सितम्बर के तीसरे सप्ताह पूरा हुआ.
पीडब्ल्यूडी की बनाई सडक़ की गुणवत्ता पर उठे सवाल
इंजरम से भेज्जी तक 20 किमी सडक़ निर्माण के लिए साल 2015 में निविदा बुलाई गई. किमी एक से सात तक सडक़ निर्माण का जिम्मा पीडब्ल्यूडी और किमी आठ से बीस तक 13 सडक़ निर्माण का जिम्मा पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन को दिया गया था. निर्माण एजेंसी पीडब्ल्यूडी ने किमी एक से किमी चार तक सडक़ निर्माण के लिए मार्च 2015 में मेसर्स आरपी प्रोड्क्स प्राईवेट लिमिटेड हैदराबाद को और किमी पांच से सात तक सडक़ निर्माण के लिए अप्रैल 2015 में मेसर्स राघव कंस्ट्रक्शन तेलंगाना को कार्यदेश जारी किया था. पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन ने दिसम्बर 2015 में कार्यादेश जारी किया. लगभग 21 महीने में एटेगट्टा से भेज्जी गांव तक 13 किमी सीमेंट कांक्रीट सडक़ बनकर तैयार है. हालांकि किमी एक से सात तक निर्माण एजेंसी पीडब्ल्यूडी द्वारा बनाई गई सडक़ की गुणवत्ता को लेकर सवाल भी उठे थे. पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन द्वारा बनाई गई 13 किमी की सीमेंट कांक्रीट सडक़ की गुणवत्ता को लेकर अफसर संतुष्ट हैं.
जिद थी गांव बसाने व सडक़ बनाने की
सलवा जुड़ूम अभियान के बाद साल 2006 से कोंटा, बण्डा,इंजरम व एर्राबोर के अस्थायी राहत शिविरों में रह रहे ग्रामीण वापस भेज्जी अपने गांव-घर लौटना तो चाहते थे पर इंजरम से भेज्जी गांव तक जाने वाली सडक़ बदहाल थी. पुल-पुलिया ध्वस्त थे. ग्रामीणों के मन में नक्सली हिंसा का भय था. ऐसे में प्रशासन ने ग्रामीणों को सुरक्षा, सुविधा एवं सडक़ बनाने का विश्वास दिलाया. इंजरम के बाद एटेगट्टा, गोरखा और इंजरम में सुरक्षाबलों के तीन नए कैंप खोले गए. फरवरी 2016 में राहत शिविरों में रह रहे 59 परिवार गांव लौटे. गांव फिर से आबाद हुआ. जिला प्रशासन ने पेयजल, आवास और रोजगार की व्यवस्था की. बीते साल 29 अप्रैल को सुराज अभियान के दौरान सीएम डॉ. रमन सिंह भेज्जी पहुंचे. गांव के तेंदूपेड़ के नीचे चौपाल लगाकर सीएम ने ग्रामीणों की मांगों व समस्याओं को गंभीरता से सुना और उनका निराकरण किया. इससे पहले सीएम बाइक में सवार होकर निर्माणाधीन सडक़ पर तीन किमी तक घूमे और निर्माण की गुणवत्ता का जायजा लेकर निर्माण में तेजी लाने के निर्देश दिए थे.
बारिश के बाद सडक़ निर्माण में आएगी तेजी: एसपी
पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीना ने कहा कि जिले में निर्माणाधीन एलडब्ल्यूई व पीएमजीएसवाय की सडक़ों के काम में बारिश के बाद और तेजी लाई जाएगी. सुकमा-कोंटा एनएच 30 एवं दोरनापाल-जगरगुंडा सडक़ निर्माण कार्य प्राथमिकता के साथ पूरा किया जाएगा. नक्सलवाद के खात्में के लिए सडक़ों का विकास जरुरी है. सडक़ बनने के बाद ही ग्रामीणों तक सभी तरह की मूलभूत सुविधाएं व सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ आसानी से पहुंचाया जा सकेगा.