पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद. किडनी रोगियों के गांव सुपेबेड़ा में शुक्रवार को फिर एक किडनी रोगी नवीन सोनवानी की मौत हो गई. नवीन 2017 में किडनी को बीमारी से ग्रसित हुआ था. धीरे-धीरे रोग बढ़ते गया. पीड़ित को 2 महीने पहले एम्स में भर्ती कराया गया था. इस बीच 10 बार डायलिसीस भी किया गया. लेकिन इस दो महीने में पीड़ित परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण मजदूर परिवार को आधा-अधूरा इलाज करा कर वापस 14 मार्च को लौटना पड़ा. मामले में सीएमएचओ गार्गी यदु ने बताया कि पीड़ित का इलाज एम्स में चल रहा था. आधे-अधूरे इलाज के बीच परिवार वाले बगैर डॉक्टर की सलाह के वापस ले आए. स्थानीय स्तर पर मौजूद सुविधाओं के बीच देवभोग बीएमओ की देखरेख में इलाज जारी था. जहां आज पीड़ित की मौत हो गई.

पैसा खत्म हुआ तो आना पड़ा

मृतक नवीन के बेटा सत्यावान ने बताया कि इलाज के नाम पर केवल डायलिसिस सुविधा मिलती है. कुछ दवा और ब्लड की व्यवस्था खुद से करना होता है. एक से ज्यादा अटेंडर हुए तो भोजन का खर्च खुद उठाना होता है. 2 महीने में 90 हजार रुपये खर्च हुए. मजदूरी कर के घर चलाते हैं. पिता के इलाज के लिए कर्ज लेना पड़ा था. दोबारा कर्ज नहीं मिल पाया. जिसके कारण मजबूरी में वापस लाना पड़ा.

अब तक 141 की मौत, सुविधा जस की तस

ग्राम पंचायत में मोजूद आंकड़े बताते हैं कि 2005 से अब तक किडनी की बिमारी से 141 की मौतें हो चुकी है. 2011 से मरने वालो की संख्या 96 है. अब भी 30 से ज्यादा में किडनी रोग के लक्षण मौजूद है. मामला सामने आने के बाद मौत के आंकड़े और बीमारों की संख्या में कमी तो आई है लेकिन मसला जड़ से खत्म नहीं हो सका है. तेल नदी के पानी और स्थानीय स्तर पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने की कोशिश जारी है,. किडनी का रोगी केवल इस गाव में क्यों है, क्या केवल पानी इसका कारण है या और कोई तत्व है, ये सवाल अब भी एक पहेली बना हुआ है. सरकार बदलती गई लेकिन अब भी किसी के पास इसका ठोस जबाव नहीं है.